डॉक्टर एम के जैन विदिशा
जी हाँ थोड़ी सी धूप का सेवन अच्छे स्वास्थ्य की गारण्टी है। आज इस गलाकाट प्रतिस्पर्धा के दौर में भी यदि आपको विटामिन ड़ी की कमी नही है तो कोई भी बीमारी आपको छू नही सकेगी, क्योंकि विटामिन ड़ी शरीर के हर अंग, प्रत्यंग, नस, नाड़ी मांसपेशी, लिवर, गुर्दे, पेट की आँत एवं यहाँ तक की शरीर की हर कोशिकाओं को सुचारु रूप से काम करने के लिए आवश्यक है ।
विटामिन ड़ी की कमी होने से अत्यधिक कमजोरी या थकान सी बनी रहती है । हड्डियों में दर्द, कमर दर्द, पसलियों में दर्द, मांसपेशियों में दर्द, पैरो में दर्द, जोड़ो में दर्द, घावों का जल्दी ना भरना, मूड का अवसाद में रहना, शरीर की हड्डियों का घनत्व कम होकर कमजोर होते जाना, नरम होते जाना, ऑस्टीओपरोसिस हो जाना, ओस्टेओमलेसिया या फिर अकारण हड्डियों का बार बार टूट जाना, बच्चों में रिकेट्स, हड्डियाँ टेडी मेडी हो जाना, विकास का रुक जाना, दाँतो का समय पर नही निकलना, चर्मरोगों का बार बार होना और बालों का गिरना या नही बढ़ना आदि लक्षण प्रमुख रूप से देखने मिल सकते है ।
ज़्यादातर लोगों का घरों से बिलकुल भी बाहर ना निकलना या धूप से दूर भागना, हमेशा वातानुकूलित जगह में रहना, घर से बाहर जाने पर पूरा शरीर ढका होना, अत्यधिक मोटापा होना, बढ़ती उम्र, शरीर की चमड़ी का गहरा होना, दूध अथवा डेरी के उत्पादन का उपयोग नही करना अथवा छोटी आँत की बीमारी, लिवर, गुर्दों की बीमारी, सिस्टिक फ़ायब्रोसिस से भी विटामिन “ड़ी “की कमी हो सकती है ।
निदान के लिये खून में कैल्सियम, फॉस्फेट, ऐल्कलायन तथा विटामिन डी की मात्रा की जाँच और विकृति वाले हिस्से का एक्स रे करवाया जाना चाहिये । अत्यधिक विटामिन ड़ी की कमी होने पर नियमित दो माह पूर्ण उपचार लेना ज़रूरी है या रोकथाम के लिये विटामिन ड़ी का सेवन दूध अथवा डेरी उत्पाद खा कर और प्रतिदिन 10 -30 मिनट धूप सेवन, वह भी सुबह 10 बजे से दोपहर 3 बजे तक में, चेहरा और आँखे ढक कर, पानी पीकर पीठ अथवा शरीर के निचले हिस्सों पर धूप सेवन ( धूप सेवन के तत्काल बाद स्नान ना करना बल्कि लगभग 1 घंटे बाद स्नान करना ) करके आपको विटामिन ड़ी की कमी और उसके दुष्परिणामों से दूर रखने में जादू से कमतर नही रहेगी ।