dr. j k gargचिंता आज विश्व के हर मानव के साथ चिपकी हुई है।किसी को रोजी और रोटी की चिंता है तो कोई महामारी और अपनी या आत्मीय जन बीमारी की वजह अपने रोजगार एवं अपने व्यापार के प्रति चिंतित है तो कोई परिवार के स्वास्थ्य और सुरक्षा और जीवन की आशंका के कारण । सभी चिंता के साये में अपना जीवन यापन कर रहे हैं। चिंता का जन्म लोभ से ही होता है। लोभ का आशय इच्छा से है और आज हर व्यक्ति किसी-न-किसी वस्तु की इच्छा,आकांक्षा या कामना अपने मन में पाले हुए है | वास्तविकता तो यही है कि चिंता संज्ञानात्मक,शारीरिक,भावनात्मक और व्यवहारिक विशेषता वाले घटकों की मनोवैज्ञानिक और शारीरिक दशा है | यह एक अप्रिय भाव से भयभीत हैं जो की साधारणतया बेचैनी,आशंका,डर और क्लेश से सम्बंधित हैं | देखा जाए तो चिंता भय से कुछ अलग है,भय किसी ज्ञात तथा अज्ञात खतरे के कारण उत्पन्न होता है वहीं, चिंता अनुभव किये गये अनियंत्रित या अपरिहार्य खतरों का परिणाम है |
एक किंदवंती के मुताबिक शैतान एक दिन रोता हुआ भगवान के पास गया और रोते हुए बोला ‘प्रभु पृथ्वी के लोग मेरे सेवकों से भयभीत नहीं हो रहे हैं। शैतान की बात सुनकर ईश्वर ने शैतान को एक लड़की “चिंता” प्रदान कर दी और बोले यह चिंता रूपी लड़की तुम्हारी इच्छाओं की पूर्ति करेगी | इस लड़की की वजह से आदमी तुम्हारे सेवकों से भयभीत रहेंगे |