अंतर्जातीय-अंतधार्मिक विवाह और कानून व्यवस्था तथा माता-पिता के मौलिक अधिकार

देश में अंतरधार्मिक और अंतरजातीय विवाहों की संख्या में बढ़ोतरी होने के साथ ही विवाहित महिलाओं के साथ अत्याचार हत्या जैसी घटनाओं की संख्या भी बढ़ी है।
देश में लव जिहाद जैसे मामले भी गत वर्षों से सुर्खियों में है। लव जिहाद जैसे मामलो से देश की शान्ति व्यवस्था पर भी खतरा बनने लगा है।
इस महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा जरूरी है।
अनेक सामाजिक और राजनीतिक संगठन अंर्तधार्मिक विवाहों पर कड़े कानून की मांग करने लगे हैं।
घर परिवार को छोड़कर अपने प्रेमी के साथ भाग कर विवाह रचाने वाली युवतियां शादी के बाद अपने माता-पिता और परिजनों से ही स्वयं की जान को खतरा बताते हुए अपने जन्मदाता तथा पालनकर्ता के ही खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवा देती है।
*सवाल यह है की जिस माता-पिता ने बेटी को जन्म तथा 18 वर्षों की लंबी अवधि तक पालन पोषण व शिक्षण किया*।
*वयस्क होने के बाद क्या उनका अपनी बेटी या संतान पर कोई अधिकार नहीं है* ?
*क्या सभी अधिकार 18 वर्ष होने के बाद यानी व्यस्कता प्राप्त करने के बाद बेटी के ही हो जाते हैं? क्या उसके जन्मदाता पालनकर्ता का अपनी बेटी पर कोई अधिकार नहीं रह जाता?*
*क्या माता पिता के मौलिक अधिकारों का हनन नहीं हो रहा है?*
देश की न्यायपालिका, कार्य पालिका संसद तथा मानव अधिकारवादियों को इस विषय में विचार करना चाहिए।
विदेशी संस्कृति में शादी के बाद होने वाले तलाको की संख्या बहुतायत में हैं।
जबकि भारतीय संस्कृति में शादी जन्म जन्मांतर का रिश्ता बनाया जाता है।
भारत में तलाक संस्कृति नगण्य थी जो अब पिछले कुछ वर्षों में बढ़ने लगी है जो चिंतनीय है।
एक तरफ माता पिता के संतान के माता पिता के कई वर्षों का अनुभव उनकी संतान के जीवनसाथी का चयन करता है दूसरी तरफ घर से भागने वाली को केवल पढ़ाई की डिग्री हो सकती है लेकिन अनुभव के मामले में विशेष नहीं होता यही कारण है कि ऐसी शादियां कुछ ही समय तक एक पाती है।
शादी के बाद महिला पर अत्याचार तथा हत्या जैसे मामले कम हो सके। *गृहस्थी जीवन सुखमय बन सके इसके लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझावों पर विचार होना चाहिए–*
अंतर्जातीय विवाह में महिला के परिवार या गोत्र के दो गवाह होना अनिवार्य होना चाहिए ।

विवाह करने वाली महिला द्वारा परिजनों से खतरे की संभावना जताई जाती है तो उसकी पूरी गोत्र में कोई तो उसकी शादी वाले निर्णय के समर्थन वाला होगा। यह जानना भी जरूरी कर दिया जाना चाहिए। यदि युवती की गौत्र से कोई भी शादी के समर्थन में नहीं है तो ऐसी शादी की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
अंतर्जातीय विवाह के मामलों में शादी की न्यूनतम उम्र 18-21 की बजाय 25-27 कर देना चाहिए । जो घर गृहस्थी के लिए जरूरी सामान आटा दाल चीनी खरीदने में सक्षम नहीं तथा इसके भाव नहीं मालूम वे अपनी गृहस्थी कैसे चला पाएंगे?
बेरोजगार युवक की लव मैरिज कानून द्वारा प्रतिबंधित करना चाहिए– पुरुष बेरोजगार नहीं होना चाहिए कम से कम तीन वर्ष तक एक ही स्थान पर स्थाई रोजगार तथा स्वयं के पैरों पर खड़ा युवक होना सुनिश्चित किया जाना चाहिए । बेरोजगार युवक पत्नी का तथा स्वयं का पेट कैसे भर पाऐगा शादी के अंतरजातीय विवाह के समय यह भी जांचा जाना चाहिए। ताकि विवाहिता के साथ शादी बाद उत्पीड़न या हत्या जैसी घटनाएं न हो।

*हीरालाल नाहर पत्रकार*
9929686902

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