मेरा गाँव अरांई

एक कहावत बहुत ही पुरानी,
बावन फोर्ट छप्पन दरवाजा।
आभा नगरी चन्दवा था राजा,
जो था गाँव अराँई का राजा।।

वीर बहादूर और बलशाली,
सेना जिसकी करे रखवाली।
धन- धान्य से गाँव था सम्पन्न,
हीरे और मोती नही थे कम।।

कहते है यहाँ धन था अपार,
सुख सम्पन्न थे सभी परिवार।
कई बार यहाँ लूट डाका पड़ा,
गोरे ले गऐ थे सोने का घड़ा।।

आज भी है यह गाँव अरांई,
आस- पास मे कस्बा है अरांई।
बाहर से आते कमाने कई लोग,
मजदूरी एवं नौकरी करते लोग।।

गाँय भैस बकरी और यह बैल,
पालते है यहां अधिकतर लोग।
दूध दही मक्खन और ये धान,
पैदा करते है यहां पर किसान।।

दूर- दूर तक यहां जमीन है कई,
नाडी कोड्या और तालाब कई।
चले जाओ चाहे तुम बाहर कही,
भूलते नही कोई यह गाँव अरांई।।

सैनिक की कलम ✍️
गणपत लाल उदय, अरांई अजमेर राजस्थान
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