ऐसा है प्यारा हमारा परिवार,
निराला है सपनों का संसार।
ना है किसी को भी अभिमान,
इसकी सदा ही जय जयकार।।
जीत ही लेते हम सबका दिल,
दुख: चाहे सुख रहें हिलमिल।
रहते है हम सब ऐसे मिलकर,
ना होती कभी कोई मुश्किल।।
झुककर मानवता का खिताब,
आदर्शों का निभाता किरदार।
फैला रहा है सब और व्यापार,
संस्कारों से जुड़ा यह परिवार।।
निराले है हमारे तीज, त्यौहार,
मनाने को रहते सदैव बेकरार।
संकट में मिलकर करें सामना,
यह निराला सपनों का संसार।।
रचनाकार ✍️
गणपत लाल उदय अजमेर राजस्थान
ganapatlaludai77@gmail.com