बन्द कर दो बाल-विवाह

ख़ूब पढ़ाओं यह देनी एक सलाह,
बन्द कर दो अब तो बाल-विवाह।
लड़का एवं लड़की होने दो जवान,
ना करना बचपन में जीवन स्वाह।।

क्या सही गलत यह नही पहचान,
अभी है यह कच्चे घड़े के समान।
चुनने दे इनको अपनी अपनी राह,
और चूमने दो ये गगन आसमान।।

शादी एवं सुहाग यह होता है क्या,
बन्धन यह फेरों का मतलब क्या।
काजल-बिंदी, निर्जल व्रत है क्या,
गुड्डा गुड़ियाॅं का यह खेल है क्या।।

बचपनें में लगाओ न कोई विराम,
बच्चा-बच्चीं समझों दोनों समान।
पढ़-लिखकर बनाने देना पहचान,
पकनें देना इनको घड़ो के समान।।

अभी बेड़ियाॅं पाॅंवो में डालो ना दो,
ऑंगन में चिड़ियाॅं सा चहकनें दो।
फूल बनकर इसे अभी महकनें दो,
इस कोमल कली को टूटने ना दो।।

सैनिक की कलम ✍️
गणपत लाल उदय अजमेर राजस्थान
ganapatlaludai77@gmail.com

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