ऑनलाइन गेम को मंजूरी देने का फैसला इस बात को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा कि उस गेम में किसी तरह से दांव या बाजी लगाने की प्रवृत्ति तो शामिल नहीं है। अगर एसआरओ(स्व नियामक संगठनों) को यह पता चलता है कि किसी ऑनलाइन गेम में दांव लगाया जाता है तो वह उसे मंजूरी नहीं देगा। दूसरे शब्दों में, यह बात कही जा सकती है कि सरकार ने सट्टेबाजी और बेटिंग से जुड़े विभिन्न एप्स को हाल ही में प्रतिबंधित करने की बात कही है और साथ ही सट्टेबाजी और जुए से जुड़े विज्ञापनों से बचने की भी चेतावनी या यूं कहें कि एडवायजरी जारी की गई है। वास्तव में, न ई एडवायजरी या इन संशोधनों को जारी करने के पीछे मकसद इंटरनेट को खुला, सुरक्षित और विश्वसनीय और जवाबदेह बनाना है।अब सट्टेबाजी से जुड़े विभिन्न गेम्स को आसानी से मंजूरी नहीं मिल पाएगी। आज बेहतर और तेज इंटरनेट, किफायती स्मार्टफोन और खर्च करने की क्षमता बढ़ने से ऑनलाइन सट्टेबाजी का बाजार भारत में लगातार बढ़ता जा रहा है। हमारे यहाँ फाइव-जी आ गया है। इससे ऑनलाइन प्लेटफार्म्स पर गेम्स खेलने बहुत आसान हो गया है, क्यों कि इन गेम्स में स्पीड भी कहीं न कहीं मायने रखती है। अब सरकार के निर्णय से इन कंपनियों को गहरा धक्का लगा है लेकिन यह बहुत ही अच्छा कदम है। अब तक विभिन्न ऑनलाइन गेम्स कंपनियों का धंधा(सट्टेबाजी, जुए) खूब फल-फूल रहा था और वे इन गेम्स की एवज में करोड़ों रुपये कमा रही थीं। वास्तव में, सरकार की इस एडवायजरी से अब ऑनलाइन सट्टेबाजी का बाजार बंद हो सकेगा और उम्मीद जताई जा सकती है कि इस पर तुरंत प्रभाव से प्रतिबंध लग सकेगा । अब तक विभिन्न गेम्स कंपनियां सट्टेबाजी व जुए की आड़ में लुभावने विज्ञापन करके अनाप-शनाप पैसा कमा रही थी और विशेषकर हमारी युवा पीढ़ी इन ऑनलाइन गेम्स के चक्कर में अपना पैसा, समय व स्वास्थ्य तक बर्बाद कर रहे हैं। युवाओं को ये कंपनियां(ऑनलाइन गेम्स कंपनियां) लाखों, करोड़ों रुपये पाने का लालच दिखाकर अपनी गिरफ्त में ले रही हैं। ऑनलाइन टीम बनाओ, रमी,ताश,क्रिकेट, लुडो खेलो और थोड़ा सा, छोटा सा इनवेस्टमेंट कर लाखों, करोड़ों जीतो। बच्चों को यह बात सच लगती और वे लगातार इसके शिकार हो रहे थे। वास्तव में, इन कंपनियों का अंदाज या यूं कहें कि विज्ञापन का तरीका कुछ इस प्रकार का होता था कि कोई भी इन ऑनलाइन कंपनियों के चंगुल में फंसने से बच नहीं सकता था, क्य़ोंकि इनकी विज्ञापन पॉलिसी ही कंपनियों द्वारा बड़ी जबरदस्त व लुभावनी बनाई जाती थी। विभिन्न अखबारों, सोशल नेटवर्किंग साइट्स, टीवी, मीडिया, इंटरनेट सभी जगह इन ऑनलाइन गेम्स कंपनियों के लुभावने व बड़े-बड़े विज्ञापन हमारी युवा पीढ़ी को अपने शिकंजे में कस रहे थे और वे पढ़ाई व मैदानों में खेलने की उम्र में वर्चुअल गेम्स में उलझे हुए रहते थे। इन लुभावने अंदाज के विज्ञापनों से हमारी युवा पीढ़ी को ये कंपनियां कुछ पलों व घंटों में ही मालामाल बनने का लालच दिखाकर तेजी से अपना धंधा चला रही थीं। इन कंपनियों की चालाकी तो देखिए कि विज्ञापनों के बीच अमूमन एक यह मैसेज भी चला दिया जाता है कि यह गेम खेलना वित्तीय जोखिम का सबब हो सकता है, इसलिए सोच-समझकर एवं जिम्मेदारी से खेलें, इसमें लत लगने का खतरा है। कंपनियों द्वारा अखबारों में इन गेम्स के विज्ञापनों में शर्तें लागू जैसे वाक्य बहुत ही महीन व छोटे अक्षरों में लिखे जाते हैं। वास्तव में, युवाओं को या किसी को भी चेतावनी देने वाले ये संदेश इतने अटपटे ढंग से चलाये और लिखे जाते है कि उस पर गंभीरता से कुछ सोचने के बजाय युवा पीढ़ी उनके चंगुल में फंस जाती है। ये कंपनियां वित्तीय जोखिम व जिम्मेदारी की बात इसलिए लिखती और कहतीं हैं ताकि कल को अगर कोई भी ऑनलाइन गेम खेलने से यदि बरबाद हो जाए और अदालत में चला जाए तो गेम खिलाने वालों(कंपनियों) के पास अपने बचाव के लिए यह बात रहे कि हमने तो पहले से ही यह बात कही थी या बताई थी कि सोच समझकर और जिम्मेदारी से खेलें, इसमें लत पड़ने के चांस है। साथ ही इसमें वित्तीय जोखिम की भी आशंकाएं हैं, लेकिन जब लोग मानते ही नहीं हैं, तो इस पर भला हम क्या करें? यह बहुत ही काबिलेतारीफ कदम है कि बहुत समय बाद ही सही केंद्र सरकार ने अब गंभीरता से ऐसे भ्रामक विज्ञापनों को फैलाने(गेम्स कंपनियों द्वारा) की खोज खबर ली है। अब इसी के साथ यह भी उम्मीद बंधी है कि शायद आने वाले दिनों में इस तरह की सट्टेबाजी वाले गेम्स पर शायद प्रतिबंध लग जाए। हालांकि अभी तक प्रतिबंध लगा नहीं है, अभी सिर्फ एक एडवाइजरी जारी की गई है और मीडिया प्लेटफॉर्म से अनुरोध किया गया है कि इस तरह के भ्रामक और छुपी मंशाओं वाले विज्ञापन न चलाए जाएं। यह बहुत ही संवेदनशील है कि आज एंड्रॉयड मोबाइल के साथ ही भारत में ऑनलाइन सट्टेबाजी ज्यादा तेजी से बढ़ी है। विदेश से चलने वाले कई ऑनलाइन सट्टेबाजी प्लेटफार्म बदस्तूर अपना काम चला रहे हैं और यह करोड़ों का बड़ा कारोबार है। एक अनुमान के मुताबिक अकेले में यह ऑनलाइन सट्टा बाजार करीब 10 लाख करोड़ रुपये का है, जो कि बहुत बड़ा बाजार कहा जा सकता है। भारत जैसे देश में क्रिकेट जैसे खेल के प्रति बहुत दीवानगी है और यहां क्रिकेट पर बड़ा सट्टा अमूमन लगता है और इस आशय की खबरें हमें रोज मीडिया में पढ़ने को मिलती रहती हैं।
देश में सट्टेबाजी अवैध है, लेकिन बावजूद इसके देश में क्रिकेट सीजन में करोड़ों-अरबों का सट्टा लगता है।
आईटी मंत्री के मुताबिक, ऑनलाइन गेम्स में जो भी ऑनलाइन बेटिंग या वेजरिंग का फंक्शनैलिटी होगा, उसे इंडिया में उपलब्ध नहीं होने दिया जाएगा। वास्तव में, आज के समय में अवैध ऑनलाइन सट्टेबाजी अधिक प्रचलन में है, क्यों कि आज कोई भी व्याक्ति कहीं पर भी सट्टा लगा सकता है। इससे(आनलाईन गेम्स) हमारे देश की अर्थव्यवस्था को बहुत बड़ा नुकसान हो रहा है। गौरतलब है कि हमारे यहां जुआ खेलने पर पब्लिक गैंबलिंग 1867 के तहत प्रतिबंध है। जानकारी देना चाहूंगा कि बच्चों के माता-पिता, विभिन्न स्कूलों के शिक्षकों, शिक्षाविदों, छात्रों, गेमर्स और गेमिंग उद्योग संगठनों, बाल अधिकार निकायों सहित अनेक हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद इन संशोधनों का मसौदा तैयार किया गया है। भारत की अर्थव्यवस्था के संदर्भ में यह बहुत ही महत्वपूर्ण व ऐतिहासिक कदम इसलिए कहा जा सकता है क्यों कि इससे भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को पछाड़ते हुए जापान और जर्मनी जैसे देशों को को पीछे छोड़ते हुए विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है।
(आर्टिकल का उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है।)
सुनील कुमार महला,
स्वतंत्र लेखक व युवा साहित्यकार
पटियाला, पंजाब