हिन्दी की पुस्तकों को खरीदने को आदतों में शुमार करना होगा

रासबिहारी गौड
अजमेर 13 सितम्बर। साहित्यकार और हास्य कवि रासबिहारी गौड ने कहा है कि सोशल मीडिया के इस युग में यदि हमें अपनी राष्ट्र भाषा को जीवन्त रखना है तो हिन्दी की पुस्तकों को खरीदकर पढ़ने की प्रवृत्ति को अपनी आदतों में शुमार करना होगा। हिन्दी भाषा के उत्थान के लिए अभिभावकों को अपने बच्चों को हिन्दी साहित्य पढ़ने के लिए प्रेरित करना आज की महत्ती आवश्यकता है।
श्री गौड शुक्रवार को राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के राजीव गांधी कॉन्फ्रेंस हॉल में हिन्दी सप्ताह के उद्घाटन सत्र् में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया का बढ़ता प्रयोग आम आदमी की भाषा विकृत करने के साथ-साथ उसे गूंगा बना रहा है। उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति की राष्ट्र भाषा वही है जिसमें वह सपने देखता है। किसी भी भाषा की पहचान उसका साहित्य होता है। हिन्दी भाषा को समृ़द्ध करने वाले साहित्यकारों की फरिस्त बहुत लम्बी है। भाषा को किसी भी बन्धन में बांधना उसके विकास के रास्ते रोकने के समान है। यदि किसी भाषा के अन्दर अन्य भाषा के शब्दों का समावेश होता है तो निश्चित रूप से वह भाषा समृद्ध होती है। उन्होंने कहा कि हिन्दी को जन-जन की भाषा बनाना है तो भाषाविज्ञों द्वारा इसे क्ल्सिट बनाने से बचना होगा। वहीं भाषा व्यापकता लिये हुए होती है जिसका सम्प्रेषण सहज व सरल हो, ऐसा सारे गुण हिन्दी भाषा में समाहित है।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ कथाकार राम जैसवाल ने कहा कि हिन्दी इस देश का चरित्र और संस्कृति का अंग है। हिन्दी सम्बन्धों और संवेदना की भाषा है। उन्होंने कहा कि भारत में हिन्दी के प्रचार-प्रसार में हिन्दी फिल्मों का भारी योगदान है। पूर्व से लेकर पश्चिम तक और उत्तर से लेकर दक्षिण तक हिन्दी फिल्मों और उनके गानों ने पूरे राष्ट्र को एक सूत्र में पिरोया है।
श्री जैसवाल ने कहा कि जब-जब भारत से आक्रमण हुए तब-तब भारत की संस्कृति और भाषा प्रदूषित हुई। सदियों से समाज अपने शासकों की संस्कृति, भाषा और वेशभूषा को अपनाता रहा है। उन्होंने भारतीय संस्कृति पर मुगल और अंग्रेजों के आक्रमण से भाषा एवं सांस्कृतिक आचरण में आये बदलाव पर विस्तृत व्याख्या की ।
बोर्ड के निदेशक जी.के. माथुर ने कहा कि भारत जैसे देश में जनमानस के हिन्दी यदि माँ है तो उर्दू भाषा मौसी के समान है। भाषा को उसी की शब्दावली पर बांधने से उसका दायरा संकीर्ण होता है। अन्य भाषाओं के आम बोलचाल के शब्दों को यदि हिन्दी में जोड लिया जाये तो हिन्दी को व्यापकता मिलेगी।
प्रारम्भ में हिन्दी सप्ताह आयोजन समिति के संयोजक उमेश कुमार चौरसिया ने हिन्दी भाषा सत्पाह की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए बताया कि आगामी सात दिनों में बोर्ड कार्मिकों की हिन्दी भाषा के प्रति अभिरूचि की अभिव्यक्ति एवं अभिवृद्धि के लिए विभिन्न प्रतियोगिताओं को आयोजन हो। जिसमें कविता लेखन, हिन्दी पत्र लेखन, नारा लेखन, कहानी सुनाओं एवं काव्य पाठ प्रतियोगिताये प्रमुख है। हिन्दी सप्ताह के प्रथम दिन श्रुत लेखन प्रतियोगिता व सहायक कर्मचारियों के लिए सुलेश प्रतियोगिता का आयोजन हुआ, जिसमें 40 प्रतिभागियों ने भाग लिया। सोमवार 16 सितम्बर को दोपहर 12.15 बजे कविता लेखन प्रतियोगिता होगी, जिसमें हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. शमा खान व बाल साहित्यकार गोविन्द भारद्वाज विशिष्ट अतिथि होंगे।
उद्घाटन सत्र् का संचालन राजीव चतुर्वेदी ने किया तथा ब्रजेश शर्मा, संजय तायल, प्रदीप बहुगुणा, नितिन दोसी, विनिता रंगा आदि ने अतिथियों का स्वागत किया।

उप निदेषक (जनसम्पर्क)

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