वाक्य चातुर्य के धनी राष्ट्र भक्त मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की संकल्प शक्ति, योगीराज भगवान श्रीकृष्ण की राजनीतिक कुशलता चातुर्य एवं कूटनीति और आचार्य चाणक्य की निश्चयात्मिका बुद्धि के धनी राजनीतिज्ञ व्यक्तियों में जन नायक अटल बिहारी का नाम सम्मान के साथ लिया जाता हैं क्योकिं अटल जी ने अपने जीवन का प्रत्येक क्षण राष्ट्र सेवा हेतु अर्पित किया था। उनका तो मन्त्र था“ देश के लिए जियें और देश के लिए ही मरें, भारत माता का कण-कण शंकर है, वहीं पानी की बूंद-बूंद गंगाजल है” |अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि भारत जमीन का टुकड़ा नहीं, भारत तो जीता-जागता राष्ट्रपुरुष है । हिमालय इसका मस्तक है, गौरीशंकर इसकी शिखा है । कश्मीर किरीट है, पंजाब और बंगाल दो विशाल कंधे हैं । दिल्ली इसका दिल है । विन्ध्याचल कटि है, नर्मदा करधनी है । पूर्वी और पश्चिमी घाट इसकी दो विशाल जंघाएं हैं । कन्याकुमारी इसके चरण हैं, सागर इसके पग पखारता है । पावस के काले-काले मेघ इसके कुंतल केश हैं । चांद और सूरज इसकी आरती उतारते हैं, मलयानिल चंवर घुलता है । यह वन्दन की भूमि है, अभिनन्दन की भूमि है । यह तर्पण की भूमि है, यह अर्पण की भूमि है । इसका कंकर-कंकर शंकर है, इसका बिंदु-बिंदु गंगाजल है । हम जिएंगे तो इसके लिए, मरेंगे तो इसके लिए । उन्होंने बतलाया कि हिन्दू धर्म तथा संस्कृति की एक बड़ी विशेषता समय के साथ बदलने की उसकी क्षमता रही है । अटलबिहारी वाजपेयी कहा करते थे कि मनुष्य जीवन अनमोल निधि है, पुण्य का प्रसाद है । हम केवल अपने लिए न जिए, औरों के लिए भी जिए । जीवन जीना एक कला है, एक विज्ञान है । दोनों का समन्वय आवश्यक है उन्होंने अनेको बार कहा है कि “भारत के लिए -हँसते प्राण न्योछावर करने में मैं गर्व का अनुभव करूँगा”।अटल बिहारी जी का जन्म ग्वालियर में 25 दिसम्बर 1924 को हुआ था उनके माता पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी एव कृष्णा वाजपेयी था | रामचंद्र वीर द्वारा रचित अमर कृति “विजय पताका” पढ़कर अटल जी के जीवन की दिशा ही बदल गयी। अटल जी की बी॰ए॰ की शिक्षा ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज में हुई। अटलजी ने राजनीति शास्त्र से प्रथम श्रेणी में एम.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की। एलएलबी की पढ़ाई को बीच में ही विराम देकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के काम में लग गए। भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में से अटल जी भी प्रमुख नेताओं में थे | उन्होंने लम्बे समय तक पत्रकारिता करते हुए राष्ट्रधर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन आदि अनेक पत्र-पत्रिकाओं के संपादक के रूप में कार्य किया। अटल बिहारी ने अपना सार्वजनिक जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लेकर प्रारम्भ किया | अटलबिहारी जी खुद कहा था कि वे विवाहित तो है किन्तु ब्रह्मचारी नहीं है यह उनके स्पष्टवादिता का प्रतीक है | सन् 1942 में जब गांधी जी ने ‘अँग्रेजों भारत छोड़ो’ का नारा दिया तो ग्वालियर भी अगस्त क्रांति की लपटों में आ गया। छात्र वर्ग आंदोलन की अगुवाई कर रहा था। अटलजी तो सबके आगे ही रहते थे। जब आंदोलन ने उग्र रूप धारण कर लिया तो पकड़-धकड़ होने लगी। अटल जी पुलिस की चपेट में आ गए। उस समय वे नाबालिग थे। इसलिए उन्हें आगरा जेल की बच्चा बैरक में रखा गया। चौबीस दिनों की अपनी इस अल्प प्रथम जेल यात्रा के संस्मरण वे हँस-हँसकर सुनाते थे|जन नायक अटल बिहारी वाजपेयी ने खुद को आर एस एस के समर्पित कार्यकर्ता रहने के बावजूद खुद को किसी खास विचारधारा के पहरेदार के रूप में कभी भी स्थापित नहीं होने दिया वो सदेव परस्पर संवाद करने की हामे थे वो इंसानियत के अंदर यकीन करते थे | को । उनके प्रधानमंत्रित्व काल में कश्मीर से लेकर पाकिस्तान तक से बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ था। अलगाववादियों से बातचीत के फैसले पर सवाल उठा कि क्या बातचीत संविधान के दायरे में होगी? तो उनका जवाब था, इंसानियत के दायरे में होगी। अटल जी वास्तव में शब्दों के जादूगर थे | आज के नेताओं की तरह उन्होंने कभी भी अपने विरोधियों पर व्यक्तिगत हमले किये और न ही किसी का चरित्र हनन किया और ना ही नताओं का अपमान किया और ना ही उनके च्बरीर करने की कोशिश की थी | वो प्दरतिशोध की राजनीती के विरोधी थे |ले की भावनाओं से जांच एजेंसी का दुरुपयोग किया । अटल बिहारी जी के राजनीतिक विरोधी भी उनकी वाकपटुता और अकाट्य तर्कों के कायल रहते थे | उन्होंने कभी भी देश के भ्त्पुर्व राज पूर्भुव प्तराध मंत्रियों का पूर्व कई राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक आज की भारतीय जनता पार्टी अटल जी के जमाने की पार्टी से भिन्न होती दिखाई देती है इसके साथ साथ आज का ऍन डी ऐ भी उस समय के ऍन डी ऐ जैसा नहीं लग रहा है | अटलजी जब विदेश मंत्री बने तो विभाग के अधिकारीयों ने उनके कक्ष से प्रथम प्रधानमंत्री नेहरुजी की फोटो को हटाने पर उन्हें प्रताड़ित करते हुये उनसे कहा कि परम्परा की पालना बंगलादेश के मुक्ति संगर्ष के वक्त इन्दिता जी नी ने संयक्त राष्ट्र संघ में जान वाले प्रति मंडल का नेत्रत्व सोपा बात उन दिनों की है जब राजीव गाँधी प्रधान मंत्री थ जब उन्हें यह मालुम हुआ की अटल जी असाध्य रोग से पीड़ित हैं तब राजीव ने उन्हें बुलाकर कहा के वो उनको अमेरिका जन वाले प्प्र्तिम्न्दल्र्ट के सदस्य क्र रूप में भेज रहे है जिससे आपका इलाज अमरीका में राजकीय कोष से हो सके इसके लिए उन्होंने वहां के भारतीय राजदूत को आदेश दे दिए है || 1994 में केंद्र की कांग्रेस सरकार ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग में भारत का पक्ष रखने वाले प्रतिनिधिमंडल की नुमाइंदगी विपक्षी नेता अटल जी को सौंपी थी। किसी सरकार का विपक्षी नेता पर इस हद तक भरोसे को पूरी दुनिया में आश्चर्य से देखा गया था । काश: आज के माहोल में ऐसा हो पाता | अटलजी जब विदेश मंत्री बने तो विभाग के अधिकारीयों ने उनके कक्ष से प्रथम प्रधानमंत्री नेहरुजी की फोटो को हटाने पर उन्हें प्रताड़ित करते हुये उनसे कहा कि परम्परा की पालना होनी चाहिये इसलिये नेहरूजीजी का फोटो वापस लगाएँ | उन्होंने अपने विपक्षीयों पर कभी भी व्यकिगत आरोप लगाये और ना ही उनकी देशभक्ति पर अंगुली उठाई | उनकी लोकप्रियता का नतीजा था कि वे देश के विभन्न प्रदेशो यथा उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश और दिल्ली से सांसद चुने गये। दो बार राज्यसभा के लिये भी निर्वाचित हुए |
अटलजी सबसे लम्बे समय तक सांसद रहे थे| जब वे पहली दफा सांसद बने और उन्होंने संसद अपना भाषण दिया तब तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरूजी ने कहा कि यह युवा सांसद एक दिन इस देश का प्रधानमंत्री बनेगा | अटल बिहारी जी को जवाहरलाल नेहरू व इंदिरा गांधी के बाद सबसे लम्बे समय तक गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री रहने का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ था | दोहरी सदस्यता में मसले पर जनता पार्टी से अलग होकर पुराने जनसंघ के लोगो ने 6 अप्रैल 1980 में भारतीय जनता पार्टी का गठन किया इस पार्टी के प्रथम अध्यक्ष पद का दायित्व भी वाजपेयी को सौंपा गया। वे दो बार राज्यसभा के लिये भी निर्वाचित हुए | पूर्वी पाकिस्तान के विघटन एवं बांग्लादेश देश के जन्म के समय अटल जी ने अपनी राजनेतिक प्रबल विरोधी इंदिरा गांधी जी जी की सराहना करते हुए उन्हें माँ दुर्गा के समान बता कर एक कुशल एवं परिपक्व राजनीति के रूप में अपने आप को स्थापित किया | वाजपेयी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के पहिले प्रधानमंत्री बने | 2002 के गुजरात के साम्प्रदायिक दंगों हुई सैकड़ों मौतों बाद प्रधानमंत्री वाजपेयी जी ने अपनी ही पार्टी के मुख्यमंत्री और वर्तमान में देश के प्रधानमंत्री को को राज धर्म के पालन करने की सीख देने की हिम्मत की थी | वाजपेयी जी ने पाकिस्तान से सामान्य सम्बन्ध बनाने के लिए 19 फरवरी 1999 को लाहौर तक की बस दुवारा सफर किया वाघा बॉर्डर पर तत्कालीन पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने उनका स्वागत किया किन्तु पाकिस्तान ने 3 मई 1999 को कारगिल में अतिक्रमण कर उसे हडपना चाह तब भारत ने उसे करारा जवाब दिया, यह संघर्ष 26 जुलाई तक चला हमारी बहादुर सेना ने कारगिल को अपने कब्जे में ले लिया इसलिए प्रति वर्ष 26 जुलाई को हम कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाते हैं | वाजपेयी जी ने पाकिस्तान से पुन:सामान्य सम्बन्ध बनाने के लिए तत्कालीन पाक राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के साथ आगरा में 14 से 16 जुलाई 2001 तक शिखर वार्ता की किन्तु कोई नतीजा नहीं निकला और पाक अपनी हरकतों से बाज नहीं आया | 13दिसम्बर 2001 को संसद पर पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी हमला हुआ जिसमें नो लोगों की मृत्यु हो गई | यही आतंकी हमला 2004 के चुनावों में प्रमुख मुद्दा बना और ऍन डी ऐ की पराजय का एक कारण बना |
वाजपेयी जी प्रथम गेर कांग्रेसी पहले प्रधानमंत्री थे जिन्होंने गठबंधन सरकार को न केवल स्थायित्व दिया अपितु सफलतापूर्वक संचालित भी किया। अपने प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान परमाणु शक्ति सम्पन्न देशों की संभावित नाराजगी की परवाह नहीं करते हुए राष्ट्र हित में 1998 में दूसरा परमाणु परीक्षण कर राजनीतिक परिपक्वता का परिचय दिया। स्मरणीय है कि उन्होंने इस परमाणु परीक्षण की अमेरिका एवं अन्य विकसित देशों की गुप्तचर एजेंसियों को भनक तक नहीं लगने दी। अटल जी ने डॉ॰ श्यामा प्रसाद मुखर्जी , पंडित दीनदयाल उपाध्याय और नानाजी देशमुख आदि नेताओं से राजनीति का पाठ पढ़ा था | जनता पार्टी की मोरारजी देसाई की सरकार में वाजपेयी जी सन् 1977 से 1979 तक विदेश मंत्री रहे उन्होंने अपने दायित्व का निर्वाह सफलतापूर्वक किया । अटल जी पहले विदेश मंत्री थे जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ में हिन्दी में भाषण देकर देश को एवं हिन्दी को गौरवान्वित किया था। अटल जी की वाणी में सदैव विवेक और संयम होता है। गंभीर से गंभीर बात को बात हंसी की फुलझड़ियां के बीच कह देने की विलक्षण क्षमता उन्हीं में थी | उनके कार्यकाल में संसद में सद्दभाव का वातावरण बना रहता था क्योंकि उन्होंने विपक्ष से निरंतर सतत संवाद बनाया | जननायक वाजपेयी जी ने एक सौ वर्ष से भी ज्यादा पुराने कावेरी जल विवाद को सुलझाया। उन्होंने संरचनात्मक ढाँचे के लिये कार्यदल, सॉफ्टवेयर विकास के लिये सूचना एवं प्रौद्योगिकी कार्यदल, विद्युतीकरण में गति लाने के लिये केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग आदि का गठन किया। राष्ट्रीय राजमार्गों एवं हवाई अड्डों का विकास; नई टेलीकॉम नीति तथा कोकण रेलवे की शुरुआत करके बुनियादी संरचनात्मक ढांचे को मजबूत करने के लिये कई प्रभावी कदम भी उठाये गये। आवास निर्माण को प्रोत्साहन देने के लिए अर्बन सीलिंग एक्ट
ग्रामीण रोजगार सृजन एवं विदेशों में बसे भारतीय मूल के लोगों के लिये बीमा योजना शुरू की।भारत भर के चारों कोनों को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए गोल्डन क्वाड्रीलेटरल प्रोजेक्ट या संक्षेप में जी क्यू प्रोजेक्ट) की शुरुआत की गई। इसके अंतर्गत दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई व मुम्बई को राजमार्ग से जोड़ा गया। ऐसा माना जाता है कि अटल जी के शासनकाल में भारत में जितनी सड़कों का निर्माण हुआ उतना सिर्फ शेरशाह सूरी के समय में ही हुआ था। चाहे प्रधान मंत्री के पद पर रहे हों या नेता प्रतिपक्ष; बेशक देश की बात हो या क्रान्तिकारियों की, या फिर उनकी अपनी ही कविताओं की; नपी-तुली और बेबाक टिप्पणी करने में अटल जी कभी नहीं चूके। अटल जी कहा करते थे कि इंसान बनो, केवल नाम से नहीं, रूप से नहीं, शक्ल से नहीं बल्कि हृदय से, बुद्धि से, ज्ञान से बनो। हमारे पड़ोसी कहते हैं कि एक हाथ से ताली नहीं बजती, हमने कहा कि चुटकी तो बज सकती है। भारतीय जहां जाता है, वहां लक्ष्मी की साधना में लग जाता है ।”भारत को लेकर मेरी एक दृष्टि है- ऐसा भारत जो भूख, भय, निरक्षरता और अभाव से मुक्त हो।” अटलजी ने भारत के प्रजातंत्र को और मजबूती प्रदान की थी उनके लिये भारत का संविधान सर्वोच्च था | सन् 2004 में अपने कार्यकाल पूरा होने से पहले ही भयंकर गर्मी में वाजपेयी जी ने इंडिया शाइनिंग के नारे के साथ लोकसभा के चुनाव कराये जिससे भा०ज०पा० के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबन्धन (एन०डी०ए०) को विजय नहीं मिल सकी थीअटल बिहारी राजनेता के साथ लेखक और कवि भी थे उन्होंने अनेकों पुस्तके एवं काव्य संग्रह लिखे जिनमे मेरी इक्यावन कविताएँ, मृत्यु या हत्या, अमर बलिदान (लोक सभा में अटल जी के वक्तव्यों का संग्रह), कैदी कविराय की कुंडलियाँ, संसद में तीन दशक, अमर आग है, सेक्युलर वाद, राजनीति की रपटीली राहें,बिन्दु बिन्दु विचार आदि मुख्य है। अटल बिहारी जी को अनेकों पुरस्कार और सम्मानों से नवाजा गया जिनमें प्रमुख हैं फ्रेंड्स ऑफ बांग्लादेश लिबरेशन वार अवॉर्ड , भारत रत्न आदि |अटल जी का मानना था की अपना देश एक मंदिर है, हम पुजारी हैं, राष्ट्र देव की पूजा में हमें अपने आपको समर्पित कर देना चाहिए। हमारे पड़ोसी कहते हैं एक हाथ से ताली नहीं बजती हमने कहा की चुटकी तो बज सकती है। वे वास्तव में एक महामानव ही थे जिनको इतिहास सदेव याद करेगा | लम्बी बीमारी के बाद जनप्रिय अटल जी 16 अगस्त 2018 को शाम 5 बजे पंचमहाभूत में विलीन हो गये | उनका समाधि स्थल राजघाट के पास शांति वन में बनाया गया जिसे स्मृति स्थल के रूप में जाना जाता है | म अटल जी की अस्थियों को देश की सभी प्रमुख नदियों में विसर्जित किया गया। 25 दिसम्बर 2023 को अटल जी के 99 वे जन्मदिवस पर सभी भारतीय उन के श्रीचरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं |
डा जे के गर्ग पूर्व संयुक्त निदेशक कालेज शिक्षा , जयपुर