*राजस्थान में मिशन-25 की हैट्रिक आसान नहीं*

*आधा दर्जन से ज्यादा सीटों पर भाजपा संकट में*
*पार्टी को मोदी के मैजिक की उम्मीद*

*■ओम माथुर■*
राजस्थान में भले ही भारतीय जनता पार्टी इस बार मिशन 25 की हैट्रिक लगाने के दावे कर रही हो, लेकिन यह हकीकत है कि पार्टी के अंदरखाने में भी कम से कम दस सीटों पर टक्कर मानी जा रही है। इनमें भी आधा दर्जन सीटों पर वह आज के हालात विपक्षी उम्मीदवार से कमजोर सि्थति में है। ऐसे में मिशन हैट्रिक पूरी होने की आस नहीं है,इसीलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित भाजपा के बड़े नेताओं ने राजस्थान में खुद को झोंक दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित गृहमंत्री अमित शाह,रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा,यूपी के मुख्यमंत्री योगी प्रचार अभियान में आ चुके हैं।

ओम माथुर
पीएम मोदी अब तक कोटपूतली, चूरू और पुष्कर में जनसभाएं कर चुके हैं। जबकि इस सप्ताह उनकी करौली- धौलपुर तथा बाड़मेर में जनसभा एवं दौसा में रोड शो का कार्यक्रम है। यह इलाके उन सीटों से जुड़े हैं या लोकसभा क्षेत्र हैं, जिनमें कुछ इलाकों में भाजपा की राह आसान नहीं है। पार्टी का अपना और राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि चुरू,झुन्झुनू, सीकर,नागौर,दौसा,बाडमेर,बांसवाड़ा,करौली-धौलपुर, टौंक,कोटा में भाजपा की राह आसान नहीं है। इन लोकसभा क्षेत्रों में उसे मोदी मैजिक की जरूरत है। मोदी अपने भाषणों और कांग्रेस को घेरकर माहौल बदलने के माहिर खिलाड़ी हैं। राजस्थान में मोदी ही भाजपा का चेहरा और वो ही वोट हासिल करने का सबसे बड़ा मुद्दा है। अधिकांश लोकसभा प्रत्याशी अपने जनसंपर्क और सभाओं में यही कह रहे हैं कि प्रत्याशी वे नहीं, मोदी है। मोदी इस बात को और आगे बढ़ाते हुए अपनी सभाओं में उम्मीदवार का नाम लेकर कह रहे हैं कि उसे मिलने वाला मोदी को मिलेगा। यानी उम्मीदवार गौण हो गया है और मोदी का चेहरा ही उम्मीदवार का चेहरा बन गया है।
राजस्थान में भाजपा सभी 25 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। जबकि कांग्रेस ने 22 सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारे हैं और तीन सीटों पर गठबंधन किया है। नागौर में आरएलपी के हनुमान बेनीवाल,सीकर से माकपा के अमराराम व बांसवाड़ा से बाप के राजकुमार रोत गठबंधन के प्रत्याशी है और अगर इन सीटों पर कांग्रेस का वोट ट्रांसफर हो गया,तो भाजपा को परेशानी हो सकती है। इसीलिए मोदी चुरू में जनसभा कर शेखावाटी की तीनों सीटों को साधने की कोशिश की। नागौर में भाजपा प्रत्याशी ज्योति मिर्धा के पक्ष में प्रचार के लिए मोदी ने पुष्कर में जनसभा की थी और यहां से अजमेर सहित नागौर, भीलवाड़ा, राजसमंद तक के उम्मीदवारों के लिए संदेश दिया। लेकिन सभा में केवल अजमेर के प्रत्याशी भागीरथ चौधरी और नागौर की ज्योति मिर्धा ही मौजूद थी।
इस सप्ताह मोदी करौली और बाड़मेर में रैली करेंगे। करौली में पार्टी प्रत्याशी इंदु जाटव बुरी तरह से फंसी हुई हैं। तो,बाड़मेर में केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी के सामने पहले तो कांग्रेस ने आरएलपी के उम्मेदाराम बेनीवाल को पार्टी में शामिल कर अपना उम्मीदवार बना दिया और फिर शिव से निर्दलीय विधायक रविंद्र भाटी के निर्दलीय नामांकन भर देने से चौधरी मुसीबत में है। भाजपा ने भाटी को मनाने के हर स्तर पर प्रयास किए, लेकिन वह नाकाम रही। उधर, बांसवाड़ा में बाप से गठबंधन हो जाने के कारण वहां कांग्रेस से भाजपा में गए प्रत्याशी महेंद्रजीत मालवीय के लिए भी संकट खड़ा हो गया है। भाटी व रोत की नामांकन सभाओं जितनी भीड़ राजस्थान में किसी भी भाजपा या कांग्रेस प्रत्याशी के नामांकन में नहीं थी। दौसा में भी मोदी रोड शो कर क्या अपने पार्टी प्रत्याशी कन्हैयालाल मीणा का बेड़ा पार कर सकेंगे, जो मुरारी लाल मीणा के सामने कमजोर साबित हो रहे हैं। भाजपा सूत्रों का कहना है कि मोदी राजस्थान में दूसरे दौर के 26 अप्रैल को होने वाले मतदान से पहले एक बार और राजस्थान आ सकते हैं। जिसमें वह बांसवाड़ा, जालौर, कोटा या किसी अन्य स्थान जनसभा कर सकते हैं।
दरअसल मोदी और शाह का राजस्थान पर इसलिए भी ज्यादा ध्यान है, क्योंकि इस बार पार्टी ने अपने 11 सांसदों का टिकट काटा है और 13 नए प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं। जिन सांसदों का टिकट कटा,उसमें पिछली बार सर्वाधिक मतों से जीते भीलवाड़ा के सुभाष बहेड़िया और गंगानगर से पांच बार सांसद निहाल चंद भी शामिल है। माना जा रहा है कि नया नेतृत्व तैयार करने, सांसदों के प्रति एंटी इनकम्बेंसी और लगातार सांसद बन रहे नेताओं को किनारे लगाने के लिए मोदी- शाह ने खुद अपने स्तर पर राजस्थान में टिकटों का वितरण किया है। ऐसे में मिशन 25 पूरा नहीं होने पर उनकी प्रतिष्ठा पर दांव पर रहेगी। विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ये प्रयोग कर चुकी है। जब उसने कई दिग्गजों का पहले टिकट काटा। फिर जीते हुए कई बड़े नामों साइड लाइन करते हुए पहली बार जीते भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री और बनाते हुए चार-पांच बार जीते विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह नहीं देकर अधिकांश नए चेहरों को मंत्री बनाया। फाक उम्मीद है कि राम मंदिर निर्माण,कश्मीर से अनुच्छेद 370 का हटाना व विभिन्न वर्गों के लिए केंद्र सरकार की योजनाएं चुनाव करीब आते-आते उसके पक्ष में एकतरफा माहौल बना देगी। उधर कांग्रेस के पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है। अगर उसने तीन-चार सीटें भी जीत ली, तो यह उसके लिए राजस्थान में उपलब्धि होगी। *9351415379*

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