अक्षय तृतीया को नागौर की स्थापना 1553 को की गई

सूरजकरण जावा
इतिहास कारो अनुसार नागौर नाग वंशज क्षत्रिय के अधिकार क्षेत्र में था नागौर के प्रथम शासक नागवंश के राजा शिशुनाग रहैं ! इसके बाद नाग छोटे-छोटे राजाओं के रूप में राज्य करने लगे तत्कालीन समय नागौर भी उन्हीं नागों की एक राजधानी थी !
उन्होंने ही यह नाग दुर्ग [किला] बनाया परंतु जब गुप्तों ने नागो को अपने अधीन कर लिया नागौर बलबन की जागीर थीं जिसे शेरशाह सूरी ने 1541में जीत लिया था !
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महाभारत काल में इसका नाम अहिच्छत्रपुर के नाम से विख्यात हुआ ! नागौर नगर के भव्य दुर्ग का भी शिल्पकला की दृष्टि काफ़ी महत्ता है ! दुर्ग मे अनेक प्रकार की शिल्पकला से भवन निर्माण कार्य किये गये है ! तत्कालीन समय सुरक्षा व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए इसका निर्माण सात दरवाजो जो कि नकाश दरवाजा, नया दरवाजा, माही दरवाजा , सर्फिया दरवाजा, कुमारी दरवाजा, अजमेरी दरवाजा एवं दिल्ली दरवाजा के परकोटे के दायरे में प्राचीर के बीच बना हुआ था वर्तमान समय में तो परकोटे के बाहर भी बहुत सारे लोग बस गये है !
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झड़ा तालाब पर स्तिथ ऐतिहासिक वीर अमरसिंह राठौड़ स्मारक [छतरियां] और
नागौर दुर्ग में स्थित रनिवास [रानियों के महल]
शिल्पकला की एक अपनी अलग ही पहचान रखती है !
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#शौर्य #गाथा नागौर के वीर योद्धा अमरसिंह जी राठौड़ ने मुगल बादशाह शाहजहां के आदेशों की अवहेलना की, जिसके लिए उनको दरबार में पेश होना पड़ा ! दरबार में शाहजहां के साले सलावत खां ने अमरसिंह जी को अपशब्द कहना शुरू किया! वह अपशब्द आधा ही बोल पाया था कि वीर अमरसिंह जी ने उसका मस्तक धड़ से अलग कर दिया और आगरा के लाल किले के इस द्वार से घोड़े सहित कूद पड़े ! उनके सम्मान में इस द्वार का नाम “अमरसिंह गेट” रखा गया
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नागौर मे पूर्व मे पेयजल की आपूर्ति संकट कालीन अवस्था मे थी पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था तत्कालीन समय मे तालाब और बावड़ियो खुदवाकर की जाती थी ! नागौर शहर जिला मुख्यालय पर प्रतापसागर, बक्कतसागर, लालसागर, शक्कर तालाब, समश तालाब झड़ा तालाब , गिनाणी तालाब, गणेश बावड़ी इनसे पेयजल आपुति होता था ! वर्तमान समय मे गगांनहर का पानी उपलब्ध होने से जलदाय विभाग/ नगर परिषद के माध्यम से वितरण किया जा रहा है !
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नागौर भारत के राज्य राजस्थान का एक प्रमुख शहर एवं लोकसभा क्षेत्र है ! यह नागौर जिला मुख्यालय है! नागौर राजस्थन का एक छोटा सा शहर है ! ऐतिहासिक रूप से भी यह जगह काफी महत्वपूर्ण है !
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मुगल सम्राट अकबर ने यहां मस्जिद का निर्माण करवाया था, इस मस्जिद का नाम अकबरी जामा मस्जिद है ! यह मस्जिद शहर के बीचों बीच दड़ा मोहल्ला , गिनाणी तालाब के पास स्थित है! इस मस्जिद के दो ऊंचे मीनार गुंबद मुगलकालीन निर्माण कला के गवाह हैं !
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इसके अलावा गिनाणी तालाब की उत्तरी दिशा की तरफ ही आलिशान दरगाह बनी हुई है , इस दरगाह को हजरत सूफी हमीदुद्दीन नागौरी रहमतुल्लाह अलैह की दरगाह शरीफ कहा जाता है! इस दरगाह में ख्वाजा गरीब नवाज हजरत मइनुद्दीन चिश्ती के खास खलीफा हजरत सूफी हमीदुद्दीन नागौरी की मजार शरीफ है!
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नागौर के मकराना कस्बा मार्बल पत्थर की वज़ह जिससे विश्व के अजूबों में ताजमहल का निर्माण में मकरान के संगमरमर [मार्बल] के कारण नागौर जिले का नाम भी अग्रणी श्रेणी में आता है ! आज भी यहां मार्बल पत्थर की अनेक प्रकार की मुर्तिया बनवाकर लेजाते है !
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प्रजातंत्र प्रणाली से पंचायतराज की स्थापना भी इस नागौर जिला से देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू जी के कर कमलों से हुई थी ! स्वर्गीय एडवोकेट श्री लिखमाराम जी चौधरी साहब नागौरी के प्रथम जिला प्रमुख थे ! विशेष रूप में प्रत्येक वर्ष लगने वाले बाबा रामदेव पशु मेले के लिए भी काफी प्रसिद्ध है ! उत्तम स्वास्थ्य के नागोरी बैलो के खरीदारी के लिए आया करते थे इस मेले में हर साल काफी संख्या में पर्यटक आया करते थे ! पर अब बैलो का स्थान मशीनी युग मे टैक्टरो ने ले लिया है !
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इसके अतिरिक्त यहां कई महत्वपूर्ण मंदिर जैन मंदिर, बंशीवाला [सांवरिया सेठ ] सांई जी का टाँका ,चेनार हनुमानजी का मंदिर मेड़तासिटी में मीरा मंदिर , जायल के नजदीक ,दधिमाता मंदिर , नागौर के नजदीक खरनाल वचन के लिए अपनी जान देने वाले , लोकदेवता वीर तेजाजी महाराज का मंदिर है और कई महत्वपूर्ण स्मारक भी है ! पान मैथी , मालपुआ यहां अपनी अलग पहचान रखते है ! जब कभी नागौर से बाहर निकलते है तो जान पहचान वाले लोग मालपुआ और पान मैथी की लाने की ख्वाहिश करते है !
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हाल ही मे राजस्थान मे गहलोत सरकार ने 19 नये जिले की मंजुरी देने के बाद राजस्थान मे अब 50 जिले बन गए है याने नागौर जिले के कुचामन डीडवाना को जिला बना दिया है जिसका होमवर्क करने के बाद राजनीतिक क्षेत्र, सिमा क्षेत्र मे काफी बदलाव आयेगा !
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