सबसे ज़्यादा डर
कब लगा था
तब
जब एकाएक कोई डरावना सपना
देखकर जाग गए थे
या तब
जब नाइट शो में
होरर फ़िल्म देखकर लौटे थे
या तब
जब आपने घर के सामने
किसी मरे हुए जानवर की लाश देखी थी
या तब
जब पहली बार
शमशान में मुर्दे को
जलता हुआ देखा था
या तब
जब आपकी बेटी
किसी रात देर से घर लौटी थी
या तब
जब आपके बेटे की मेज़ पर
अधूरा सुसाइड नोट पढ़कर
ख़ामोश हो गए थे
या तब
जब आपकी नौकरी पर मंडराते ख़तरे ने
पत्नी की मुस्कान छीन ली थी
या तब
जब आपके हमशकल को
इसलिए मार दिया था
कि वह मारने वालों के धर्म का नहीं था
या तब
जब कोई भी डर
आपके पास से गुजरता है
या सचमुच
आपको याद नहीं है
आप कब डरे थे
या सचमुच
आप कभी नहीं डरे थे
आप कभी नही डरते हैं
तब सचमुच
आपको अपने आप से डरना चाहिए
क्योंकि आपका अपना डर
हर वक्त आपके साथ चल रहा है
*रास बिहारी गौड़*