सायरन सुनकर
मैने हथेली की
गर्माहट महसूस की
अपने दिल पर,
सुबह रक्तचाप की
एक गोली के एवज में
दिन भर धड़कते रहने का
वादा तो किया था इसने,
अनजाना-सा रिश्ता बंधने लगा
उस अपरिचित से,
जो शायद पंहुचा होगा अस्पताल ?
या शायद कभी नहीं ?
मैं अब जल्दी से जल्दी
घर पहुंचकर,
पति और बच्चों की आँखों में
झांक लेना चाहती थी
फिर किसी सायरन के
बजने से पहले ।
-रजनी मोरवाल, अहमदाबाद