बीकानेर में लोकमत प्रेस भवन अंबेडकर सर्किल पर स्थित है । इस भवन के तहखाना में प्रिंटिंग प्रेस लगी हुई थी । इस प्रेस को अपने बोध-समय से ही हम जानते हैं । प्रिंटिंग प्रेस भले ही तहखाना में लगी हो लेकिन प्रातः स्मरणीय स्वर्गीय श्री अंबालाल जी माथुर, अविनाश माथुर और श्री अशोक माथुर के मन मुक्त आकाश की भांति हमारे समक्ष रहे हैं। किसी को भी उनके मन में कोई तहखाना कभी भी अनुभूत नहीं हुआ । श्री अशोक माथुर हमारे बड़े भाई के समान है । उन्होंने अपनी कलम सदैव अन्याय के विरुद्ध चलाई। ग्रामीण क्षेत्र के किसान श्री अशोक माथुर की चलाई कलम की बदौलत अपने संघर्ष को विजय की ओर बहुत सी बार ले गए हैं । यह किसी से छुपा हुआ नहीं है । श्री अशोक माथुर राजनीति में विशेष रुचि होने के कारण विधानसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं । लोकमत नवलेखक, नव-पत्रकारों के लिए प्रशिक्षण का प्रमुख केंद्र माना जाता है।
श्री अशोक माथुर के साथ बिताए अंतिम मुलाकात के कुछ क्षण मैं कभी बिसरा नहीं सकूंगा। इन क्षणों में आदरणीय स्वर्गीय श्री दिनेश सक्सेना भी हमारे साथ थे । माथुर साहब के हाथ में फ्रैक्चर हुआ था और मैं उनसे मिलने पहुंचा था। यह अगस्त महीने के तीसरे सप्ताह के आरंभ की बात है। एक और बात श्री अशोक माथुर जी की कही हुई याद आती है की बीकानेर में गोगा गेट पर जहां अभी आयुर्वेदिक औषधालय संचालित है, वहां बहुत पहले श्री अंबालाल जी माथुर, वैद्य दीनानाथ जी सहित बीकानेर की कुछ शख्सियतों ने आयुर्वेद कॉलेज निर्माण के लिए संघर्ष किया था । श्री अशोक माथुर साहब ने बताया था कि उनके तहखाना में इससे संबंधित महत्वपूर्ण कागजात सुरक्षित है ।इसके अलावा बीकानेर की बहुत सी गतिविधियों से संबंधित कागजात भी तहखाना में है । इस बात के कुछ वर्षों बाद उन्होंने तहखाना की सफाई की और उस सफाई अभियान में न जाने कितने कागज इधर से उधर हुए यह मैं नहीं जानता। हां उन्होंने एक बार यह जरूर कहा था कि इतने कागजों में अब जो वांछित कागज ढूंढने बैठते हैं तो बड़ी मुश्किल से मिलते हैं या नहीं मिल पाते। इस काम में सहयोग की जरूरत है । पर मुझे अफसोस है मैं उनके उस काम में सहयोग नहीं कर पाया। आज वे दैहिक रूप में हमारे बीच नहीं है लेकिन उनकी दी हुई शिक्षाएं/ सीख हमारे साथ हमेशा है । उनका आशीर्वाद हमारे साथ हमेशा है। मैं उन्हें दिल की गहराइयों से नमन करता हूं – मोहन थानवी