ये ज़ख्म और उस ज़ख्म से मिलीं दर्द को
बहुत सह-सह कर चलना सीखा हैं हमने,
जीवन के टेढ़ी-मेढ़ी राह के लंबी सफर में
जो कुछ भी मिला था उसे कुबूला है हमने।

औरों को दरकिनार करते हुए देखा है हमने,
अपने-पराए, आसपास के मतलबी लोगों से
दुनिया में जीने का अंदाज ढूंढ लिया है हमने।
झूठ, फरेब और धोखे से लोगों को लूटकर
रहीसी ठाट-बाट दिखाते हुए देखा है हमने,
माना औरों से कुछ कम ही मिला है मुझको
पर लूटकर औरों को कुछ जमाया नहीं है हमने।
गोपाल नेवार,’गणेश’सलुवा, खड़गपुर, पश्चिम मेदिनीपुर, पश्चिम बंगाल । 9832170390.