भारतीय गणतंत्र को स्थापित हुए 75 साल पूरे हो गए। हम गणतंत्र की 76 वीं सालगिरह मना रहे हैं। 26 जनवरी 1950 को हम गणतंत्र बने। इस दिन हमने अपने आप से वादा करके अपने संविधान को लागू किया। गणतंत्र का अर्थ है हमारा संविधान, हमारी सरकार, हमारे कर्तव्य और हमारा अधिकार। गणतंत्र का मतलब है जनता की ताकत ही सबसे बड़ी है। जनता ही सबसे ऊपर है। इस व्यवस्था को हम सभी गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि भारत को एक गणतांत्रिक देश क्यों कहा जाता है?
सिर्फ एक लोकतांत्रिक देश होने से कोई देश गणतंत्र नहीं बन जाता है। गणतंत्र बनने की एक बुनियादी शर्त होती है। दुनिया के तमाम देशों में लोकतंत्र है, लेकिन वे देश, गणतंत्र नहीं है। इंग्लैंड इसका प्रमुख उदाहरण है। इंग्लैंड में लोकतंत्र, संसद एवं जनता द्वारा चुनी सरकार हैं। इंग्लैंड की तरह भारत में संसदीय व्यवस्था अपनाई गई है। इंग्लैंड का प्रधानमंत्री भी हमारे देश के प्रधानमंत्री की तरह जनता के प्रति उत्तरदायी होता है। जनता हर पांच साल में प्रधानमंत्री को हटाने का अधिकार रखती है। इसीलिए इंग्लैंड एक लोकतांत्रिक देश है, लेकिन इसके बावजूद भी इंग्लैंड को गणतंत्र नहीं कहा जाता है। इंग्लैंड अकेला देश नहीं है। जापान, स्पेन, बेल्जियम, डेनमार्क, चेक रिपब्लिक समेत दुनिया के तमाम ऐसे देश हैं जहां लोकतंत्र तो हैं लेकिन गणतंत्र नहीं है, लेकिन भारत लोकतंत्र के साथ-साथ एक गणतांत्रिक देश है।
दरअसल लोकतंत्र और गणतंत्र में एक बुनियादी अंतर है और वह है सत्ता के सबसे ऊंचे पद पर बैठे व्यक्ति का। अगर जनता के पास सत्ता के सबसे ऊंचे पद पर बैठे व्यक्ति को बदलने का अधिकार है तो उस देश को गणतांत्रिक देश कहा जाता है। अगर नहीं तो वो देश गणतांत्रिक नहीं होगा। इंग्लैंड के उदाहरण से इसे फिर से समझा जाए तो इंग्लैंड में सत्ता के सबसे ऊंचे पद पर राजा (या रानी) बैठा होता है। वहां आज भी नाममात्र की ही सही, लेकिन राजशाही है। इंग्लैंड के लोग प्रधानमंत्री तो बदल सकते है लेकिन राजा नहीं। इंग्लैंड के ठीक उलट भारत में सबसे ऊंचे पद पर बैठा व्यक्ति राष्ट्रपति होता है, जिसे अप्रत्यक्ष रूप से जनता चुनती है। साथ ही जनता हर 5 साल में राष्ट्रपति को बदलने का अधिकार भी रखती है। इसलिए भारत एक लोकतांत्रिक देश होने के साथ-साथ गणतांत्रिक देश भी है।
गणतांत्रिक देश का मुखिया राष्ट्रपति होता है। इसके अलावा लोकतंत्र और गणतंत्र में एक अंतर और है- लोकतंत्र में जनता का शासन होता है। फैसले बहुमत के आधार पर लिए जाते हैं, लेकिन कई बार यह जनता का शासन, बहुसंख्यक जनता के शासन में बदल जाता है, लेकिन गणतंत्र में कानून का शासन होता है। एक गणतांत्रिक देश यह सुनिश्चित करता है कि अल्पसंख्यकों का हक न मारा जाए। इसलिए प्रधानमंत्री के साथ-साथ कुछ शक्तियां राष्ट्रपति को भी दी जाती हैं। इसलिए भारत में राष्ट्रपति कई बार संसद के बनाए कानूनों पर हस्ताक्षर करने से इंकार कर देते हैं, लेकिन लोकतांत्रिक देशों में ऐसा नहीं होता है। वहां संसद के बनाए नियम ही अंतिम होते हैं।
गणतंत्र का मतलब है, ऐसा देश जिसकी सत्ता आम लोगों के जरिये से आती हो। ये वहीं संभव है जहां लोकतंत्र की व्यवस्था हो। इस प्रकार भारत सिर्फ गणराज्य नहीं है वह एक लोकतंत्रात्मक गणराज्य भी है, जिसके बारे में हमारे भारत के संविधान की उद्देशिका कि पहली ही लाइन में यह लिखा गया कि ‘‘हम भारत के लोग भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए।‘‘ भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। लेकिन हम भारत के लोगों द्वारा इसकी संकल्पना को दृढ़ता के साथ 26 नवंबर 1949 को ही आत्मार्पित कर लिया गया था। जिसके ठीक 2 माह बाद इसे भारत के संविधान के रूप में लागू कर दिया गया। भारत में जनसाधारण, वंचित हाशिये के लोगों और महिलाओं की शिक्षण की प्रक्रिया बहुत धीमी और देर से आगे बढ़ी। यही कारण है कि भारत के लोग भारत के संविधान की उद्देशिका को आज भी गहनता से समझ नहीं सके हैं। अगर लोगों से पूछा जाए तो आज की अधिकांश पढ़ी लिखी युवा पीढ़ी भी 15 अगस्त और 26 जनवरी को आजादी का पर्व ही मानकर अपना फर्ज नक्की कर लेती है। वे उसमें ठीक तरह से फर्क ही नहीं कर हैं। 15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी मिली तो 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ। बीच का समय संविधान निर्माण की प्रक्रिया में लगा।
गण का मतलब है जनता। इस प्रकार गणतंत्र का अर्थ है जनता के द्वारा चलाई जाने वाली शासन व्यवस्था। जो लोगों के द्वारा बहुमत से चुनकर चलाई जाती है, शासन को लोगों के द्वारा चुनकर चलाए जाने के कारण ही इसे लोकतंत्र कहा जाता है। इस प्रकार भारत एक लोकतंत्रात्मक गणराज्य है। इसलिए गणतंत्र दिवस का महत्व न केवल भारत के लिए है, बल्कि यह दुनिया भर में रहने वाले भारतीयों के लिए भी एक महत्वपूर्ण दिन है। यह दिन भारत की स्वतंत्रता और लोकतंत्र की भावना को प्रदर्शित करता है, और यह देश के नागरिकों को अपने देश और उसके संविधान पर गर्व करने का अवसर प्रदान करता है। ये लोगों का ही पर्व है, जिसे बहुत ही उसके अर्थ और महत्व के साथ आचरण में अपनाते हुए मनाने की आवश्यकता है। तभी भारत सच्चे अर्थों में एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य के सपनों का भारत बन सकेगा। आइए, हम सब भारतवासी इस गणतंत्र दिवस को खूब हर्ष और उल्लास के साथ मनाएं। (लेखक भारत अपडेट के संपादक हैं)
बाबूलाल नागा
(लेखक संपर्क-9829165513)