अणुव्रत और होली: आत्मशुद्धि एवं सद्भावना का संगम

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होली केवल रंगों का उत्सव नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि और नैतिक उत्थान का भी प्रतीक है। यह पर्व हमें अणुव्रत आंदोलन के सिद्धांतों के अनुरूप जीवन जीने की प्रेरणा देता है, जहाँ नैतिकता, संयम और प्रेम के रंग हर दिल में बसते हैं।

सत्य और अहिंसा का संकल्प
अणुव्रत का प्रथम नियम सत्य और अहिंसा का पालन है। होली के दिन हम प्रतिज्ञा लें कि न तो किसी को छलेंगे और न ही किसी को शारीरिक या मानसिक कष्ट देंगे। हमारा हर शब्द और कार्य प्रेम और सद्भावना से भरा होगा।
नशामुक्त होली का संकल्प
अणुव्रत आंदोलन हमें नशामुक्ति की शिक्षा देता है। इस पर्व पर हम प्रण लें कि नशे से दूर रहकर शुद्धता और संयम से होली मनाएँगे। हमारी खुशियाँ सच्ची और निर्मल होंगी, किसी भी प्रकार के व्यसन से मुक्त।
सद्भावना और सह-अस्तित्व
अणुव्रत हमें हर जीव के प्रति करुणा और सह-अस्तित्व की भावना रखने की प्रेरणा देता है। होली के रंगों में हमें जाति, धर्म और भाषा के भेदभाव को भूलकर केवल प्रेम और भाईचारे का रंग घोलना चाहिए।
ईमानदारी और नैतिक व्यापार
हम अणुव्रत के सिद्धांतों के अनुरूप यह भी संकल्प लें कि किसी को धोखा नहीं देंगे। रंगों की खरीद-फरोख्त से लेकर हर व्यवहार में ईमानदारी और पारदर्शिता बनाए रखेंगे।
पर्यावरण संरक्षण और अहिंसा
होली पर अनावश्यक जल-दोहन न करें और प्राकृतिक रंगों का प्रयोग करें। यह पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारी का प्रतीक होगा। अणुव्रत आंदोलन भी हमें प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता और अहिंसा का पाठ पढ़ाता है।
सादा जीवन, उच्च विचार
होली को दिखावे और असंयम से मुक्त रखते हुए इसे सादगी और संयम से मनाएँ। अणुव्रत हमें विलासिता से दूर रहकर जीवन को नैतिक और सार्थक बनाने की प्रेरणा देता है।
संयम और आत्मशुद्धि
होली आत्मशुद्धि का पर्व है। हम इस अवसर पर अपने भीतर के विकारों—क्रोध, ईर्ष्या, अहंकार और लालच—को जलाने का संकल्प लें। यही सच्ची होली होगी।
सकारात्मक संवाद और प्रेमपूर्ण संबंध
अणुव्रत के नियमों में मधुर वाणी और सकारात्मक संवाद को महत्व दिया गया है। होली पर हम कटुता भुलाकर प्रेमपूर्ण संबंधों को सुदृढ़ करें और दूसरों की भावनाओं का सम्मान करें।
सभी जीवों के प्रति संवेदनशीलता
होली पर जानवरों को रंग न लगाएँ, उन पर पानी न फेंकें। अणुव्रत हमें सभी जीवों के प्रति करुणा और अहिंसा की शिक्षा देता है। हम इस नियम का पालन करें और होली को प्रेम का उत्सव बनाएँ।
संयमित आहार और शुद्धता
होली पर हम अणुव्रत के अनुसार संयमित आहार अपनाएँ और स्वच्छता का ध्यान रखें। स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए शुद्ध और सात्विक भोजन करें, जिससे शरीर और मन दोनों स्वस्थ रहें।
सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय
होली केवल व्यक्तिगत आनंद का नहीं, बल्कि सामूहिक उत्सव का पर्व है। हमें इसे सभी के कल्याण का माध्यम बनाना चाहिए। गरीबों, जरूरतमंदों और वंचितों के साथ खुशियाँ बाँटना ही सच्चे मानव धर्म और अणुव्रत का पालन है।
आइए, इस होली पर हम अणुव्रत आंदोलन के सिद्धांतों को अपनाकर एक आध्यात्मिक, शुद्ध और संयमित जीवन की ओर बढ़ें। प्रेम, अहिंसा, ईमानदारी और करुणा के रंगों से अपनी आत्मा को रंगें।
आप सभी को नैतिकता, संयम और आध्यात्मिकता से ओत-प्रोत पावन होली की शुभकामनाएँ!
 बी एल सामरा
*अध्यक्ष – अणुव्रत समिति, अजमेर *

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