
खुशी के झरने की हो कलकल,
सुखमय सबका हो आज और कल,
सबको होली हो शुभ मंगल..!
अपने भीतर के प्रहलाद को,
ज़िंदादिल रखना भाई,
होली की अग्नि में जलाना
नफ़रत और चिंता की बुराई,
लाल, हरा, नीला या पीला,
जीवन का हर रंग अहम है,
रिश्तों की इस फुलवारी में,
होली खास रही हरदम है,
अंतर्मन सबका हो निश्छल,
सबको होली हो शुभ मंगल..!
सर्व धर्म समभाव का जज़्बा,
कभी भी ना हो बस इकतरफ़ा,
सच्ची प्रार्थनाऍं लायेंगी,
अमन-चैन हरदम चौतरफ़ा,
चाहे कैसी मुश्किल आये,
इक-दूजे का साथ निभायें,
होली, ईद, दीवाली, क्रिसमस,
सब मिलजुलकर साथ मनायें,
कभी भी ना हो कोई दंगल,
सबको होली हो शुभ मंगल..!
*रचयिता* :- गजानन महतपुरकर