लाइव दिखाने वालों से पूछो, केजरीवाल कहां हैं

महेन्द्र सिंह

हमारे देश में शक्तिशाली उद्योगपति वर्ग का अंदाजा आप इस बात लगा सकते है की इन्होने कई बार सरकारों के मंत्रियो को हटाने व बनाने में अपना अहम रोल अदा किया था और यहाँ तक सरकारों को बचाने में बिगाड़ने में भी इनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है और ये वर्ग चाहता है कि सरकारे व दुसरे दलो के उलझने बनी रहे जिससे हमारा महत्व भी बना रहेगा और ये इनके खिलाफ होने वाले आंदोलनों को भी धरातल बनाने में सहायक होते है और बाद में ये संकट मोचक बनकर उनसे अपने व्यवसायक सोदेबाजी करते है और लाभ कमाते है चाहे देश का कितना ही बड़ा नुकसान हो परन्तु अबकी बार इस जगत के सामने आने वाली परेशानी बिलकुल भिन्न थी जब अरविन्द जी की पार्टी ने कांग्रेस पर हमला बोला तो हमारे उद्योगपति वर्ग बहूत खुश हुवा और जब अरविन्द जी ने  गडकरी पर हमला बोला तो हमारे इस वर्ग का खुशी का ठिकाना सातवे आसमान पर था मगर जब अरविन्द जी ने अपनी तोप का मुह उद्योगपति वर्ग के सबसे बड़े घराने की तरफ करके बम्ब दाग दिया तो सारा उद्योगजगत सक्ते में आगया कभी सोचा भी नही था कि तोपे चलवाने वाले लोगो पर भी तोप चल जायेगी अरे ये तो जल्लाद को फांसी का हुक्म हो गया अब रसी खेचेगा कोन, दो दिन तो हमारे इस जगत को क्या करे, कहां जाये,और क्या बोले इसकी सुध ही नही थी। इस संकट मोचक की यह स्थिति देख कर कांग्रेस व् बी जे पी ने आपस में सलाह मसोरा किया और अम्बानी जी से बात की आप अरविन्द की बात का जबाब क्यों नही देते हो ,अम्बानी बोले क्या बोले हमारा तो दिमाक ही काम नही करता आप ही बताये क्या बोले ,एक संजीदा राजनेता ने कान में कहा हम तुमे बोलने का नही कहते और तुम्हे बोलना आता भी नही है तुम तो इस अरविन्द की ही बोलती बंद करदो,अम्बानी बोले वो केसे, नेताजी ने कहा अरे मुर्ख ये मीडया वाले भी तो तुम्हारे बिरादरी के लोग ही तो है इनसे बात करो बात से नही मानते उनसे पैसों की बात करो इस अरविन्द के उपर मिडीया का केमरा जाने ही मत दो नही तो ये अरविन्द नही तुम्हारी मोत है ।बुजदिल उद्योगजगत की सारी भेड़े एक जगह होकर केमरे की उस आंख को बंद कर दिया जो अरविन्द पर टिकी थी इस योजना के तहत कई मीडया कर्मियों को नोकरी से जाना पड़ा था । दोनों देश के बड़े दल एक दुसरे को देखकर मुस्कराये कि पहली वार उद्योगजगत जो हमे काम में लिया करता था उसको हम ने काम में ले लिया हा हा हा ……पूछो जनता से अरविन्द कहाँ गया ?
-महेन्द्र सिंह 

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