हम कैसे हिंदुस्तान में जी रहे हैं?

वनिता जैमन
वनिता जैमन

किसी कवि ने लिखा था-
जहां हर चीज है प्यारी, सभी चाहत के पुजारी,
प्यारी जिस की जुबां, वही है मेरा हिन्दुस्तान।
यह पढ़ कर यकायक यह सवाल मन में उठता है कि क्या हम वाकई आज ऐसे हिंदुस्तान में जी रहे हैं? क्या यह केवल एक ख्वाब मात्र है? क्या यह देश प्रेम में डूबे एक कवि की कल्पना मात्र है?
और मुझे फिर कुछ अगली पंक्तियों की याद आ जाती हैं-
कहीं पर नदियां बल खायें, कही पर पंछी इतराएं,
बंसती झूले लहराए, जहां पर अनगिनत हैं भाषाएं।
सुबह जैसे ही चमकी, बजी मंदिर में घंटी,
और मस्जिद में अजान, वही है मेरा हिंदुस्तान।
पर ये एक सपना सा लगता है। हमें कहीं देखने को नहीं मिलता, न जाने लोगों की प्रेम भावनाओं को क्या हो गया है?
इन सब का जिम्मेदार कौन है?
अपने आप में बहुत खोजा, मन के भीतर झांका पर कहीं नजर नहीं आया। मन में एक चुभन सी महसूस होती है।
तभी कहीं दूर से आवाज आती है-वोट फॉर बीजेपी, वोट फॉर कांग्रेस। इस पर एक दम से अहसास हुआ कि कहीं इन सब के लिए हमारे राजनेता तो जिम्मेदार नहीं, जो कि आज आम इंसान को अपने स्वार्थ के लिए जाति और धर्म में लोगों को बांट रहा है।
क्या कभी इन कवि की यह पंक्तियां सार्थक होगी, इसे सार्थक करने में हम तो असफल हो गए हैं।
वो दिन न जाने कब आएगा, जहां सब मिल कर एक साथ यही पंक्तियां दोहरायेंगे-
जहां हर चीज है प्यारी, सभी चाहत के पुजारी,
प्यारी जिस की जुबां, वही है मेरा हिन्दुस्तान।
-वनिता जैमन, भाजपा नेत्री व समाजसेविका

error: Content is protected !!