कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने बागियों के लिए पार्टी के दरवाजे बंद करने का बयान जारी कर कांग्रेस कार्यकर्ताओं में एक नई बहस छेड़ दी है। हालांकि उनका बयान अब बगावत करने वालों के बारे में प्रतीत होता है, मगर इससे राहुल के रुख का अंदाजा होता है कि कहीं वे पहले भी बगावत कर चुके नेताओं को टेढ़ी नजर से ही देखेंगे। और कुछ नहीं तो कम से कम पार्टी के वफादार कार्यकर्ताओं को पहले बगावत कर चुके नेताओं पर अंगुली उठाने का मौका तो मिल ही जाएगा। कहने की जरूरत नहीं है कि राजस्थान विधानसभा के चुनाव नजदीक हैं और जैसे ही दावेदारों के बीच खींचतान शुरू होगी, पूर्व में बागी बन कर चुनाव लड़ चुके और बाद में पार्टी में शामिल होने वाले नेताओं पर अंगुली उठाई जा सकती है। हालांकि इस बारे में पहले बगावत कर चुके नेताओं का यह तर्क हो सकता है कि भले ही वे एक बार बगावत कर चुके हैं, मगर अब तो पार्टी के साथ हैं। और अगर पहले बगावत कर चुकने के कारण अब भी उनके साथ भेदभाव किया जाता है तो फिर वे पार्टी में रह कर करेंगे ही क्या? उल्लेखनीय है कि अजमेर जिले में भी ऐसे कई नेता हैं, जो पहले बगावत कर चुके हैं और बाद में पार्टी में शामिल हो गए और अब विधानसभा चुनाव में टिकट की दावेदारी कर रहे हैं।
ज्ञातव्य है कि गत दिनों राहुल ने मुंबई में सांसदों, विधायकों समेत 339 जनप्रतिनिधियों व पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा था कि पार्टी छोड़ चुके या अधिकृत उम्मीदवारों के खिलाफ चुनाव लडने वालों के लिए कांग्रेस के दरवाजे बंद कर दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी में सभी के लिए एक समान नियम होगा। यह मुझे और बाकी कार्यकर्ताओं को एक सूत्र में बांधेगा।