भारतीय मछुआरों की गिरफ्तारी

केशव राम सिंघल
केशव राम सिंघल

पिछले माह श्रीलंका नौसेना ने 53 भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार कर लिया था. भारत द्वारा विरोध दर्ज कराने के बाद उनमें से 34 मछुआरों को छोड़ दिया गया. इस माह के पहले सप्ताह में श्रीलंका नौसेना ने 26 भारतीय मछुआरों को कथित तौर पर उनके देश की जलसीमा में अवैध शिकार करने के लिए गिरफ्तार कर लिया है तथा उनके साजो-सामान भी जब्त कर लिए हैं. 19 मछुआरों का मामला अब मन्नार (श्रीलंका) न्यायालय में विचाराधीन है.
भारतीय मछुआरों की गिरफ्तारी के सम्बन्ध में तमिलनाडु की मुख्यमन्त्री जयललिता सारा ठीकरा केन्द्र सरकार पर फोड़ती रहीं हैं. वे कहती हैं कि यह सिर्फ़ इसलिए हो रहा है क्योंकि केन्द्र सरकार इस सम्बन्ध में कोई राजनयिक पहल नहीं कर रही है. 1974 में केन्द्र सरकार ने एक समझौते के अधीन कच्चातीपु द्वीप श्रीलंका को दे दिया था और इसी द्वीप से श्रीलंका नौसैनिक भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार कर लेते हैं. उधर श्रीलंका के मत्स्य पालन मन्त्री राजिथा सेनरत्ना का कहना है कि श्रीलंका के बारे में गलतफहमी के कारण दक्षिण भारत के लोग सदेह के साथ कार्य करते हैं. उन्होंने यह भी इशारा किया कि अभी तक तमिलनाडु की मुख्यमन्त्री जयललिता या डीएमके नेता करुणानिधि में से किसी ने भी श्रीलंका की यात्रा नहीं की है और यही अविश्वास का मुख्य कारण बन गया है. भारतीय मछुआरों की गतिविधिओ पर टिप्पणी करते हुए वे कहते हैं कि भारतीय मछुआरों को शिकार करने के लिए श्रीलंका जलसीमा में नहीं आना चाहिये. उनका कहना है कि पिछले तीन माह में श्रीलंका के उत्तरी समुद्र में भारतीय मछुआरों द्वारा किए जाने वाले अवैध शिकार में उल्लेखनीय वृद्धि हुई हैजिससे श्रीलंका को आर्थिक नुकसान होता है.
बहुत सारी समस्याओं के हल बातचीत से निपट जाते हैं. भारत और श्रीलंका के अधिकारियों के बीच मत्स्य पालन और कृषि पर प्रासंगिक संयुक्त समिति की बैठक जनवरी 2013 में आयोजित होनी थीलेकिन भारतीय अधिकारियों ने इसकी तिथी मार्च तक केलिए बढ़ा दी. इसे मार्च माह में दिल्ली में आयोजित होना थापर यह बैठक मार्च में भी आयोजित नहीं हो सकी. ऐसा सुनने में आया है कि अब यह बैठक मई 2013 में आयोजित होगी. संयुक्त समिति की बैठक का सम्पन्न ना होना इस समस्या को बढ़ा रहा हैक्योंकि ऐसे अनेक मुद्दे हैं जो आपसी विचार-विमर्श से हल किए जा सकते हैं. केन्द्र सरकार को चाहिये कि शीघ्र इस समिति की बैठक आयोजित करने की कार्रवाई करे और यह करना दोनों देशों के हित में भी है. यह बहुत ही जरुरी है कि अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमाओं और व्यवस्थाओं के अनुसार ही आगे एक व्यवस्थित प्रणाली को ठोस आकार दिया जाएतभी समस्या सुलझ सकती है. साथ ही भारतीय मछुआरों के लिए जागरूकता अभियान भी चलाने की जरूरत है जिसके द्वारा उन्हें अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमाओं और व्यवस्थाओं के तहत ही कार्य करने के लिए जागरूक किया जाए.

– केशव राम सिंघल 
(लेखक राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर हैं और 1975 में श्रीलंका की यात्रा कर चुके हैं.)

1 thought on “भारतीय मछुआरों की गिरफ्तारी”

  1. जैसा कि मैंने अपने लेख में लिखा है कि 19 मछुआरों का मामला अब मन्नार (श्रीलंका) न्यायालय में विचाराधीन है. आज 11 अप्रैल को श्रीलंका न्यायालय ने 19 मछुआरों की रिहाई का आदेश दिया है, जो 13 मार्च को कथित तौर पर श्रीलंका की समुद्री सीमा में मछली पकड़ने के लिए गिरफ्तार किए गए थे. ये मछुआरे फिलहाल अनुराधपुरम जेल में हैं और एक-दो दिन में ये भारत लौट आयेंगे. मन्नार न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में मजिस्ट्रेट सर्बुद्दीन ने इनकी रिहाई और इनकी चार नौकाओं को लौटने का आदेश दिया. भारतीय मछुआरों की रिहाई आदेश से मछुआरों में व्याप्त तनाव कं हुया है.

    इस माह के प्रारंभ में गिरफ्तार 26 मछुआरों के मामले में ऊर्कावल्थुरै स्थित अदालत ने रिमांड की अवधि 19 अप्रैल तक बढ़ा दी है, जिन्हें 5 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था. इसके अलावा 6 अप्रैल को 30 मछुआरों को कच्चातीवु द्वीप के पास से गिरफ्तार किया गया था, उनके मामले की सुनवाई 18 अप्रैल को तय की गयी है.

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