-रास बिहारी गौड- माननीय सांसद कल अपने इलाके में एक दिन के दौरे पर थे। दौरे के दौरान उन्होंने प्रति घंटे के हिसाब से उदघाटन किये, प्रति मिनिट के हिसाब से ज्ञापन लिए और प्रति सेकंड की दर से मुस्काने बांटी। वो तो उनकी घडी में इससे छोटी कोई सुई नहीं थी वरना जयकारे और जिंदाबाद के नारों की भी गति नाप लेते।

दिल्ली में हवा में रहते-रहते उन्हें सूझा कि आज ज़मीन पर उतर कर देखते हैं…तो अचानक उन्हें अपना इलाका याद आया। ..वेसे भी इन दिनों दिल्ली की हवा बिगड़ी हुई हैं, उस हवा से बचने और अपनी हवा बचाने के लिये माननीय एक दिवसीय यात्रा पर अपने चुनावी इलाके में ज़मीन पर उतरे थे… ये अलग बात हैं कि देखने वाले बताते है कि ज़मीन पर उतरने के बावजूद उनके पैर ज़मीन पर नहीं पढ़ रहे थे।…कभी सर पर, कभी हाथ पर, और कभी गाड़ी में नज़र आ रहे थे…।
माननीय के स्वागत में कार्यकर्ता और कारपेट दोनों समान रूप से बिछे थे ।..दोनों को पता था केवल एक दिन के लिये बिछना है फिर तह होकर अगली यात्रा तक ज़मा हो जाना हैं .।.दोनों में एक ही अंतर था कारपेट में कोई होड़ नहीं थी।
बहरहाल, माननीय अपनी महायात्रा पर निकले थे ..। इस यात्रा के आगाज़ में कितनी यात्राए पहेले से ही निकल रही थी…। समूह की ,समाज की,धर्म की ,भ्रम की..। .सबके अपने अपने कारण और कारक थे लेकिन उपादान के मूल में माननीय के प्रति मोह मात्र था..।.यही कारण था कि माननीय की यात्रा के सम्मान में इन् समस्त यात्राओं को यात्रा नहीं कार्यक्रम , समारोह या सम्मेलन इत्त्यादी कहा जा रहा था।
माननीय सर्वप्रथम मंगल प्रवेश के रजत जयंती समारोह में गए, उन्होंने अपने मंगल और समारोह की जयंती को सरकारी खजाने से मामूली दान का आशवासन दिया और गैर सरकारी खजाने से मतदान का आशीर्वाद लिया । तत्पश्चात सामूहिक विवाह समारोह में शिरकत की। वर वधु के गठबंधन को देख कर गठबंधन के जोखिम बताते हुए अपनी ओर से खुला समर्थन देने का विशवास जताया। एक परिचय सम्मेलन में अपना परिचय देते हुए यह रहस्य उदघाटित किया की वे हमारे सांसद हैं।
कुछ सरकारी आयोजनों का भार भी माननीय ने अपने कन्धॊ पर ढ़ोया.। नयी रेल का उदघाटन रेलवे नियमॊ में रहते हुए मात्र आठ घंटे देरी से किया । उदघाटन के तुरंत बाद जो झंडी ट्रेन को दिखायी थी जनता की ओर कर दी, जनता और ट्रेन टाटा करती हुई अपनी अपनी दिशा में रवाना हो गयी । प्रतीकात्मक रूप से स्टेशन पर एस्केलेटर्स का भी श्री गणेश किया अर्थातकि अंतराष्ट्रीय सुविधा मुहैय्या कराते हुए रेल आपको आगे ले जाए या ना ले जाए पर बिना कष्ट दिए ऊपर जरूर पंहुचा सकती हें।
कहीं शिक्षकों को शिक्षा दी, वकीलों की पैरवी की, वर्दी की धरपकड़ की, चैनल वालो को फोटो, अखबार को खबरें, देते हुए शाम होते होते माननीय संसद के लिए फिर से हवा में उड़ गए। ज़मीन से उनका रिश्ता फिर से कट गया।
हम इंतज़ार कर रहें हैं माननीय फिर कब हवा के रास्ते हमारे इलाके की ज़मीन को अपने कदमों से नवाजेंगे…।