गुजरात के ‘सरबजीत’ को मुआवजा तक नही दे रहे मोदी

कोट लखपत जेल में बंद गुजरात के कुलदीप कुमार यादव (लाल घेरे में) और कुलदीप सिंह (सबसे दाहिने)
कोट लखपत जेल में बंद गुजरात के कुलदीप कुमार यादव (लाल घेरे में) और कुलदीप सिंह (सबसे दाहिने)

कोट लखपत जेल में भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह की मौत पर भारतीय जनता पार्टी के नेता और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने केन्द्र की यूपीए सरकार पर जमकर निशाना साधा है और इस घटना के लिए यूपीए की कमजोरी को जिम्मेदार ठहराया है। नरेन्द्र मोदी कह रहे हैं कि यूपीए सरकार ने सरबजीत के सवाल पर देश की जनता को गुमराह किया है। लेकिन नरेन्द्र मोदी को जरूर जानकारी होगी कि एक गुजराती भी जासूसी के उसी आरोप में कोट लखपत जेल में बंद है जिस आरोप में सरबजीत बंद था। निश्चित रूप से इसमें बतौर मुख्यमंत्री कुछ नहीं कर सकते लेकिन उसके परिवार की गुजरात में जो दुर्दशा है, क्या नरेन्द्र मोदी सरकार ने कभी उस ओर ध्यान दिया है?
अहमदाबाद (गुजरात) निवासी 41 वर्षीय कुलदीप कुमार यादव को जासूसी के आरोप में पाकिस्तान ने कैद कर रखा है। लगभग सौलह साल से वे लाहौर की उसी कोट लखपत जेल में बंद हैं जिसमें सरबजीत बंद था। उन्हें पच्चीस साल की सजा हुई है। पाकिस्तान की कोट लखपत जेल से तीन साल पहले रिहा होकर आये बाड़मेर निवासी जुम्मा खान एक खास बातचीत में बताते हैं कि “आईएसआई ने सरबजीत को मरवा दिया, अब वह गुजरात निवासी कुलदीप कुमार और जम्मू निवासी कुलदीप सिंह पर है. आई एस आई इन पर भी कभी भी हमला करवा सकती है. जुम्मा खान जब यह बात बोलते हैं तो उनकी आंखों का भय बताता है कि वे गलत नहीं बोल रहे हैं। आखिर वे कोट लखपत जेल में उन कैदियों के साथ लंबा वक्त बिताकर लौटे हैं।
जुम्मा खान ने बताते हैं कि कोट लखपत जेल से कुलदीप ने राजकोट निवासी अपने वकील एम. के. पॉल को पत्र लिखा है, जिसमें कहा गया है कि ”मुझे यातनाएं दी जा रही हैं। मैं अब और यातनाएं सहन नहीं कर सकता। मैं इस पत्र में यह बताने की स्थिति में नहीं हूं कि मुझे किस तरह की यातनाएं दी जा रही हैं। भारत सरकार मेरी रिहाई सुनिश्चित कराने के लिए कोई ईमानदार पहल नहीं कर रही। सरकार ने अहमदाबाद में रहने वाले मेरे परिवार को कोई मुआवजा भी नहीं दिया है।” जाहिर है, नरेन्द्र मोदी को सरबजीत की राजनीतिक चिंता तो है लेकिन अपने ही राज्य के एक गुजराती की कोई चिंता नहीं है।
कुलदीप यादव 23 मार्च 1994 से पाकिस्तान में बंद है। कुलदीप की 76 वर्षीय मां मायादेवी जब अपने बेटे के बारे में बात करती हैं तो उनकी आंखों के आंसू नहीं थमते। अहमदाबाद के चांदखेड़ा में रहनेवाली मायादेवी ने कहा कि कुलदीप 1989 में यह कहकर हमें छोड़कर चला गया कि मैं नई दिल्ली नौकरी के लिए जा रहा हूं। उसने यह नहीं बताया कि उसे कहां नौकरी मिली है और वह किसके लिए काम कर रहा है। कुलदीप ने गुजरात यूनिवर्सिटी से वकालत पढ़ी है। मायादेवी के मुताबिक कुलदीप के पाकिस्तान की जेल में होने के बारे में उन्हें कुछ साल पहले पता चला था। उसके बाद हमने उसकी रिहाई के लिए खूब भागदौड़ की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। बेटे के बारे में सोचते-सोचते उसके पिता नानकचंद की वर्ष 2000 में मौत हो गई।
1 फरवरी, 2007 को भारतीय उच्चायोग द्वारा भेजा गया खत कुलदीप यादव के पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में होने का पुख्ता सबूत मिले थे। इस खत में न सिर्फ कुलदीप के वहां होने की पुष्टि की गई है, बल्कि यह भी कहा गया है कि उनकी जल्द रिहाई के प्रयास जारी हैं। मगर इन दिनों कुलदीप को भारतीय सरकार ने भुला दिया .उनके साथ कुलदीप सिंह भी हे जिसे पचीस साल की सज़ा मिली हें उनकी सज़ा के सत्रह सत्रह साल पूर्ण हो चुके हें मगर उनकी रिहाई की कोई उम्मीद नज़र नहीं आती सरबजीत की मौत के बाद आई एस आई चुप बैठेगी ऐसा नहीं लगता क्योंकि पाकिस्तानी जिलो में समस्त गतिविधिया आई एस आई चलती हैं। आईएसआई दोनों कुल्दीपों को मौत की सज़ा दिलाना चाहती थी मगर पाकिस्तान न्यायालय ने उन्हें पचीस पचीस साल की सज़ा सुनाई थी। उनकी सात सात साल की सज़ा शेष है।
ऐसे में दोनों कुलदीप की जिंदगियां लखपत जेल में सुरक्षित हैं, कहा नहीं जा सकता क्योंकि इसी साल पाक जेल में बंद चमेल सिंह की भी चौबीस जनवरी को पीट पीट कर बुरी तरह घायल कर दिया था। बाद में उन्हें भी जिन्ना अस्पताल में भरती कराया गया था जहां उन्होंने दम तोड़ दिया था। चमेल सिंह पर भी जासूसी का आरोप लगाया था। इसी तरह पाक जेल में बंद सतपाल सिंह की भी मौत जेल में पिटाई के कारण हुई थी। विस्फोट डॉट कॉम से साभार

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