गुरु गुड चेला शक्कर

रास बिहारी गौड
रास बिहारी गौड

-रासबिहारी गौड– अभी चेले का राज्याभिषेक भी पूरी तरह नही हुआ था कि गुरूजी ने राजनीती मे धूम – धड़ाका कर दिया | ये वो ही चेला है जो गुरूजी की चम्पी करते – करते अचानक चाँद पर नाचने लगा था | नाचने क्या  तांडव करने लगा…था  | अब गुरूजी क्या करें,उन्होंने अपनी पार्टी को सर के बाल दिए हैं |चाँद सफा चट कर ली, सोचा था कि चाँद की इस चमक से भाग्य चमकेगा  | ये क्या चाँद पर चेला ही चमक गया  | चेले की पहचान दाड़ी है चाहे चेहरे पर हो या पेट मे | तभी तो राज्यअभिषेक से सबसे पहले गुरु के पेट मे दर्द हुआ , उस दर्द से चेले के पेट की दाड़ी कुम्भ्लाई … गुरु और चेले के पेट का मामला है, देखो बहार क्या निकलता है  |

गुरु चेले का सारा मसला गोवा से शुरू हुआ . दोनों ने गोवा को गोआ पढ़ा … वो भी अलग – अलग गो  आ …. गुरु के लिए गो और चेले के लिए आ .. | दोनों के अपने अपने तर्क है… |  गुरु का कहना है कि उस ने पार्टी को खून से सीचा है, चेला कहता है कि उसने पार्टी को खून का मतलब समझाया है | गुरु का मानना है कि पार्टी आदर्शो से भटक गई है , चेला कहता है जो भटक गए है वे  ही हमारे आदर्श हैं  | गुरु का दंभ है कि उन्होंने पार्टी को 2 से 120 तक पहुंचाया , चेले को विश्वास है वो इसे 420 तक पहुंचा देंगे | दोनों मे अनेक समानताएं है |…… दोनों बड़ा सोचते ;महा रचते है , अत: भारत की नही महाभारत की तैयार मे जुट गये है | गुरु की सारथी स्वराज हैं तो चेले का सारथी राज है| मुद्दा राज का ही है | दोनों राज की नीती मे फसे हुए हैं यानि राजनीती मे फसें हुयें हैं |  गुरु की सेना के साथ गठज़ोड़ है तो चेले के पास  अखाड़ा  है | इस अखाड़े का बड़ा महत्व है गुरु और चेले दोनों इसी अखाड़े के पहेलवान हैं  | कभी इसी अखाड़े की मिट्टी लगा कर गुरु ताल ठोका करते थे,  आजकल अखाड़ा चेले की ताल पर गुरु को ठोक कर मिट्टी मे मिलना चाहाता है |

modi-adwani-300x196गुरु चेले के बीच चौपाल और चबूतरा भी धर्म युद्ध का कारण है|  गुरु की जिद है कि चौपाल पर मेरा ही आसन लगेगा | चेले का मन है उसने अपने चबूतरे पर एकछत्र राज्य किया है.. अत: चौपाल पर बेठने की उसकी बारी है | गुरु इसी जिद के चलते कोप भाजऩ मे बेठे है, चेला भजन कर के गुरु को कुपित कर रहा है ا गुरु ने पार्टी के लिए, सिहासन के लिए, यात्राएं निकाली , जप -तप, संकल्प, पता नही क्या – क्या किया | बदले मे उन्हें इच्छा मृत्यु का वरदान मिला | अब गुरु जी उसी वरदान का श्राप भोग रहे है | चेले का अश्व निकल चुका है .. गुरु के रथ मार्ग पर | पार्टी उत्साहित है क्योकि जानती है ये मार्ग सत्ता की दहलीज तक जाता है | कुल मिला कर चेले ने सारे गुर गुरु से ही सीखे है, ये और बात है कि गुरु गुड रहे गये चेले शक्कर  हो गये ……….

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