भागवत आडवानी के बोकडी काकी हैं!

mohan bhagvatतो आडवानी जी कोपभवन से बाहर आ गए …. पूरब में एक किस्सा प्रचलित है –“जब बोकडी (बकरी ) काकी कहलीं तब हम खाए लेहलीं .” … दरअसल हुआ यह कि परिवार में एक बुजुर्ग नाराज हो गए और कहा कि ‘अब हम न खाब’.. सबने मनाया नहीं माने. लेकिन जब रात को तेज भूख लगी तो बगल में रखी थाली को चट कर गए .लोगों ने कहा कि अच्छा किया ..तो सफाई दी,” बेटवा कहलेस हम ना मनलीं, मेहरारू कहलेस तबहूँ हम ना खयलीं , पतोह कहलेस तबव हम ना मनलीं . मुला जब बोकडी काकी कहलीं तब हम न खुद के रोक पयलीं”. तो मोहन भागवत आडवानी के बोकडी काकी हैं.

वीरेंद्र यादव के फेसबुक वॉल से.

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