मुस्कुराते रहेंगे बुद्ध

INDIA-EXPLOSION-BUDDHISM-TEMPLE-विजय शर्मा- बुद्ध से घृणा करने वाला उनके पास आया है जी भर गाली देकर चला गया। बुद्ध
ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। अगले दिन भी बुद्ध को गाली देने वाला आया और
मन भर गाली देकर चला गया। बुद्ध ने कुछ नहीं बोला। यह घटना कुछ दिनों तक
लगातार चलती रही। ये सब देखकर बुद्ध के एक शिष्य को आश्चर्य हुआ। उसने
बुद्ध से पूछा कि आप उस व्यक्ति का कुछ जवाब क्यों नहीं देते हैं जबकि वो
आदमी तो रोज आकर आपको गंदी-गंदी गालियां देकर चला जाता है। बुद्ध ने
मुस्कुराते हुए धीमे से जवाब दिया कि अगर मैं उसका कुछ जवाब दूं तो उसका
अर्थ हुआ कि मैं उसकी गालियों को ग्रहण कर रहा हूं, मैं उसका जवाब नहीं
देता हूं तो उसकी सारी गालियां उसके पास ही रह जाती हैं।
महाबोधि मंदिर में हुए धमाकों की गूंज बुद्ध की शांति में खो कर रह जाएगी
और नाकाम हो जाएंगे आतंकियों के मंसूबे। पूरी दुनिया में शांति का पाठ
पढ़ाने वाले बुद्ध के आंगन में बम भले ही फटे हो पर इससे शांति की चमक
फीकी नहीं पड़ने वाली।
कलिंग में रक्तपात देखकर सम्राट अशोक ने युद्ध से तौबा कर ली थी।
उम्मीदों को आसमान पर ले जाएं तो सोच की उड़ान कहीं कहती हुई दिखती है कि
रक्तपात थम जाए दुनिया में। अगर बदले की भावना को ही जन्म देना है और उसे
पाल-पोसकर बड़ा करना है तो आइए हम सब मिलकर खुशी से खुदकुशी कर लेते हैं
क्योंकि दुनिया भर में हममें से हर किसी को कुछ न कुछ तो दिक्कत है। इन
दिक्कतों के निपटारे के लिए कानून बनाए गए हैं और अदालत भी हैं। पर बम
चुपके से रखकर भाग जाने वाले इसे लेकर भ्रम की स्थिति में हैं। उन्हें ये
तो पता है कि कानून सजा देगा पर दूसरी तरफ उसी कानून-व्यवस्था को धता
बताने की उनकी कोशिशें लगातार जारी रहती हैं।
अगर आप इधर म्यांमार और श्रीलंका से आती हुई खबरों को देखकर ये जताने की
कोशिश कर रहे हैं कि वहां बौद्धों ने अपना पहचान यानी अहिंसा को त्यागकर
अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने की कोशिश की हैं और उसी के बदले में ये
धमाके हुए हैं तो आप निहायत ही दया के पात्र है। म्यांमार में हाल में जो
कुछ हुआ है उसकी जितनी भी निंदा की जाए वो कम है और हम अपने देश में उसे
कभी नहीं पनपने देंगे।
पर सवाल ये है कि जिनके ऊपर जिम्मेदारी है कि वो कानून की हिफाजत करेंगे,
निर्दोष लोगों को सुरक्षा प्रदान करेंगे और दोषियों को सजा दिलवाएंगे, वह
अगर परमाणु परिक्षण करने के बाद उसका नाम ‘बुद्धा मुस्कुरा रहे हैं’ दिया
जाये तो साफ है कि आप बुद्ध को हिंसा से जोड़ रहे हैं। हम बेशक ये दुहाई
दें कि हम परमाणु ऊर्जा का प्रयोग जीवन को बेहतर बनाने के लिए करेंगे पर
बुद्ध के प्रभाव वाले देश जापान के हिरोशिमा और नागासाकी की तस्वीरें
हमें कुछ और ही बताती हैं। आज भी भूकंप और सूनामी के बाद हमारी पहली
चिंता होती है कि हमारे परमाणु ऊर्जा प्लांट सुरक्षित हैं कि नहीं।
अब तक माना जा रहा था कि आर्थिक रूप से संपन्न इलाके ही आतंकवाद की चपेट
में आते हैं पर बिहार के बोधगया में हमले से साफ हो गया है कि आतंकियों
का मकसद गहरी चोट देने पर है चाहे वो देश के किसी भी हिस्से में है। एक
पैटर्न तो सामने आ ही रहा है कि वो देशवासियों के साथ-साथ विदेशियों को
भी निशाना बना रहे हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा सुर्खियां बटोर सकें।
हम उस दौर में जी रहे हैं जब नकारात्मक चीजे ही सुर्खियां बनेंगी। लेकिन
2500 साल पुराने इतिहास की धमक यही बताती है कि बिना हवाई जहाज और ट्रेन
के ज्ञान फैला है। चीन से लेकर श्रीलंका तक। जापान से लेकर कंबोडिया तक।

विजय शर्मा
विजय शर्मा

इंटरनेट के युग में नकारात्मकता और असहिष्णुती कितनी तेजी से फैलती है,
ये देखने वाली बात होगी। देखनी वाली बात होगी कि हमारी जड़ें कितनी मजबूत
और कितनी खोखली हैं। आप अपनी फिक्र कीजिए क्योंकि बुद्ध अभी भी मुस्कुरा
रहे हैं। इस मुस्कान में अनुभव है, प्रकृति है और ज्ञान है। सीधे शब्दों में कहें
तो प्रकृति के अनुभव से पनपा ज्ञान है।

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