साउथ अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला का निधन

nelson-mandelaसाउथ   अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति और नस्लभेद-विरोधी आंदोलन के आइकन नेल्सन मंडेला का 95 साल की उम्र में निधन हो गया।    दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जूमा ने देश के नैशनल टेलिविजन चैनल पर एक बयान में कहा,    ‘राष्ट्र ने अपने सबसे महान बेटे को खो दिया है। साउथ अफ्रीका के साथियो, नेल्सन मंडेला ने   हमें एकजुट किया और हम सब साथ मिलकर उन्हें विदाई देंगे।’ मंडेला की पहचान दुनिया के    बेहतरीन नेताओं में थी। उन्होंने साउथ अफ्रीका में नस्लभेदी सरकार की जगह   एक लोकतांत्रिक    बहुनस्ली सरकार बनाने के लिए लंबा संघर्ष किया। इस संघर्ष के दौरान वह 27 साल तक जेल में रहे।

देश के पहले अश्वेत राष्ट्रपति का पद    संभालते हुए    उन्होंने  कई  दूसरे संघर्षों में भी शांति बहाल करवाने में अहम भूमिका निभाई। उन्हें 1993 में उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 1964 में जेल जाने के बाद नेल्सन मंडेला दुनिया भर में नस्लभेद के खिलाफ संघर्ष के एक आइकन बन गए। हालांकि, नस्लभेद के खिलाफ उनका विरोध इससे कई साल पहले शुरू हो चुका था। बीसवीं सदी के ज्यादातर हिस्से में साउथ अफ्रीका में नैशनल पार्टी और डच रिफॉर्म चर्च का बोलबाला था।   उनका सिद्धांत ‘अफ्रीकनर’ ढंग से बाइबल को पढ़ने और बोएर लोगों की सत्ता में भूमिका निभाने पर आधारित था।

नस्लभेद की जड़ें साउथ अफ्रीका में यूरोपीय शासन के शुरुआती दिनों से ही मौजूद थीं।   1948 में नैशनल पार्टी की पहली सरकार के सत्ता में आने के बाद नस्लभेद को कानूनी दर्जा दे दिया गया।   इस चुनाव में सिर्फ श्वेत लोगों ने ही मत डाले थे।    मंडेला महात्मा गांधी से बेहद प्रभावित थे। लोग उन्हें साउथ अफ्रीका के गांधी भी कहते थे।    उनके राजनीतिक आंदोलनों और संघर्षों में महात्मा गांधी के विचारों का असर साफ दिखता है।

जिन लोगों ने उन्हें जेल में बंद रखा,   यातनाएं दीं   उनके प्रति भी उन्होंने कोई कड़वाहट नहीं दिखाई। वह हमेशा खुशमिजाज नजर आए और उनके व्यक्तित्व और जिंदगी की कहानी ने पूरी दुनिया को आकर्षित किया। 5 साल राष्ट्रपति बने रहने के बाद    1999 में उन्होंने कुर्सी छोड़ी और साउथ अफ्रीका के सबसे प्रभावशाली नेता साबित हुए। उन्होंने एचआईवी और एड्स के खिलाफ भी मुहिम छेड़ी और साउथ अफ्रीका के लिए 2010 के फुटबॉल वर्ल्ड कप की मेजबानी हासिल करने में भी उनकी भूमिका रही।

साल 2001 में उन्हें पता चला कि उन्हें कैंसर है।    2004 में उन्होंने सार्वजनिक जीवन से संन्यास लिया कि वह अपने परिवार और दोस्तों के साथ वक्त    गुजारना चाहते हैं। मंडेला का जन्म 1918 में ईस्टर्न केप ऑफ साऊथ अफ्रीका के एक छोटे से गांव में हुआ था। वह मदीबा कबीले से थे और साउथ अफ्रीका में उन्हें अक्सर उनके कबीले के नाम यानी ‘मदीबा’ कहकर बुलाया जाता था। उनके कबीले ने उनका नाम रोलिहलाहला दालिभंगा रखा था लेकिन उनके स्कूल के एक शिक्षक ने उनका अंग्रेजी नाम नेल्सन रखा। उनके पिता थेंबू राज परिवार में सलाहकार थे    और जब उनकी मृत्यु हुई तो नेल्सन मंडेला 9 साल के थे।    उनका बचपन थेंबू कबीले के मुखिया जोंगिनताबा दलिनदयाबो की देखरेख में बीता। वह 1943 में अफ्रीका नैशनल कांग्रेस से जुड़े। आगे चलकर वह अफ्रीकी नैशनल कांग्रेस के अध्यक्ष भी बने।

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