नागौर जिले के नागौर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के बागी, पूर्व मंत्री हरेन्द्र मिर्धा के जीतने की संभावना बताई जा रही है। ज्ञातव्य है कि वहां भाजपा ने जहां अपने मौजूदा विधायक हबीबुर्रहमान को चुनाव मैदान में उतारा, वहीं कांग्रेस ने शौकत अली को अपना प्रत्याशी बनाया था। हालांकि यहां पिछली बार हारे हरेन्द्र मिर्धा प्रबल दावेदार थे, मगर दो बार हारने के कारण फार्मूले के तहत उन्हें टिकट नहीं दिया गया। हाईकमान के सामने उनके पुत्र रघुवेन्द्र मिर्धा को भी टिकट देने का दबाव था, क्योंकि युवा वर्ग में वे लोकप्रियता हासिल कर चुके थे, मगर ऐन वक्त पर शौकत को उतार दिया गया। ऐसा होने पर हरेन्द्र मिर्धा निर्दलीय ही मैदान में उतर गए। चुनाव प्रचार के पहले दिन से ही यह लगने लगा था कि मुख्य मुकाबला हबीबुर्रहमान व हरेन्द्र मिर्धा के बीच ही होने की संभावना है। जैसे-जैसे चुनाव प्रचार ने जोर पकड़ा हिंदूवादी मतदाताओं में यह बात घर कर गई कि कहीं यह सीट मुस्लिमों के लिए अघोषित रूप से रिजर्व न हो जाए। ऐसे में उनके पास हरेन्द्र मिर्धा को समर्थन देने के अलावा कोई चारा न था। कुल मिला कर वहां वोटों का ध्रुवीकरण धर्म के आधार पर होता गया। मुस्लिम मतदाता तो हबीबुर्रहमान व शौकत के बीच बंट गए, जबकि जाटों के अतिरिक्त अन्य हिंदू जातियों का रुझान हरेन्द्र मिर्धा की ओर हो गया। यही वजह रही कि उनके जीतने की संभावना काफी प्रबल हो गई है। अगर इसी फैक्टर ने इस चुनाव में सबसे ज्यादा भूमिका अदा की तो कोई आश्चर्य नहीं कि मिर्धा आसानी से जीत जाएं। मिर्धा के जीतने की संभावना के मद्देनजर ही कांग्रेस हाईकमान ने उनसे संपर्क साधना शुरू कर दिया है।