एक अमरीकी रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र के नागरिक दिन के चौबीसों घंटे अमरीकी ड्रोन की दहशत में जी रहे हैं.
अमरीका के दो प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों – स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी और न्यूयार्क स्कूल ऑफ लॉ की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि ड्रोन उन्हें भी अपना निशाना बना रहे हैं जो हमलों में घायल हो गए लोगों की मदद के लिए घटनास्थल पर जाते हैं.
कई बार ड्रोन हमले के फौरन या कुछ देर बाद उसी जगह को फिर अपना निशाना बनाते हैं, जहां उसने पहला हमला किया था.
अमरीका की ख़ुफिया संस्था, एजेंसी सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी यानी सीआईए पाकिस्तान के कुछ इलाक़ों में ड्रोन का इस्तेमाल कर रहा है, जिसमें अब तक सैकड़ो चरमपंथियों की मौत हो चुकी है.
‘आतंकवादियों की सूची’
अमरीका ड्रोन का इस्तेमाल यमन में भी करता है.
राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा है कि जिन्हें हमलों का निशाना बनाया गया उनका नाम ‘उस लिस्ट में शामिल था, जो सक्रिय आतंकवादियों को लेकर बनाई गई थी.’
हालांकि पाकिस्तान में हुए हमलों में कई सीनियर तालिबान नेताओं की भी मौत हुई है.
लेकिन इस बात का अनुमान लगाना बहुत मुश्किल है कि कितने नागरिक इन हमलों का शिकार हुए हैं क्योंकि अफ़ग़ानिस्तान से सटे सीमावर्ती इलाकों में मीडिया और शोधकर्ताओं को जाने की इजाज़त नहीं है.
क़ानूनी वैधता
मार्च 2011 में हुए एक हमले में क़बायली नेताओं और स्थानीय व्यापारियों समेत 40 लोग मारे गए थे.
ये लोग तब मारे गए जब ड्रोन ने एक कार में सफ़र कर रहे चार चरमपंथियों पर हमला किया था.
इस तरह के मामलों पर इतना हंगामा हुआ कि उसके बाद संयुक्त राष्ट्र मानवधिकार संस्था की प्रमुख नवी पिल्लै ने इसकी क़ानूनी वैधता पर सवाल उठाए.
सवाल
उनका कहना था कि ये पूरा मामला ही फ़ौज की देखरेख से बाहर है.
अमरीका की इस नीति पर कई लोगों ने सवाल उठाए हैं कि ड्रोन का इस्तेमाल सीआईए की देखरेख में हो रहा है न कि वहां की फौज के.
कहा ये भी जा रहा है कि पाकिस्तान किसी भी तरह युद्ध क्षेत्र नहीं है.
बराक ओबामा का कहना है कि अगर ड्रोन का इस्तेमाल बंद किया गया तो फिर उसकी जगह सेना के इलाक़े में भेजे जाने का विकल्प रह जाएगा.
हालांकि पहले आई समाचार एजेंसी एपी की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि ड्रोन हमलों में मारे गए अधिकतर लोग लड़ाके थे. नई रिपोर्ट एक अलग नतीजे पर पहुंचती है.