गरीब लोग इस राज्य में सुरक्षित नहीं है: हाईकोर्ट

हाईकोर्ट ने सोमवार को प्रदेश में पांच हजार से भी अधिक लोगों को ढूंढने में असफल रहे आला अफसरों को जमकर फटकार लगाई। अदालत में पेश हुए राज्य के मुख्य सचिव सीके मैथ्यूज, गृह सचिव अशोक संपतराम तथा डीजीपी हरीश मीणा को खरी-खरी सुनाते हुए कहा कि राज्य में गरीब लोग सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि मुख्य सचिव एक दिन अदालत में रुक कर लोगों की फरियादें सुनें तो पता चले कि गरीब लोगों की शिकायतों पर पुलिस क्या करती है।

वरिष्ठ न्यायाधीश गोविंद माथुर व न्यायाधीश आरएस चौहान की खंडपीठ ने कहा कि अदालत में रोजमर्रा पेश होने वाले बंदी प्रत्यक्षीकरण मामलों से चिंतित अदालत ने सरकार से ऐसे मामलों में पुलिस द्वारा किए जा रहे अनुसंधान के तौर तरीकों तथा उनमें सुधार लाने के मामले में रिपोर्ट मांगी थी।

इस पर सरकार की ओर से एक बार विभिन्न जिलों में गुमशुदा आंकड़े पेश कर दिए गए। आंकड़ों से पता चला कि पिछले तीन वर्ष में करीब 5 हजार लोग गायब हुए हैं उनमें से आधे से ज्यादा महिलाएं हैं। इस बार भी सरकार से लोगों के गुम होने के कारण का पता लगाने तथा उनका निवारण करने के लिए एक्शन प्लान बताने के लिए कहा, लेकिन फिर भी इसके लिए सरकार ने सामाजिक, प्रेम प्रसंगों व बेरोजगारी जैसे कारण बता कर इतिश्री कर ली गई। इन कारणों को अदालत ने स्वीकार नहीं किया। इस पर अदालत को मुख्य सचिव, गृह सचिव तथा डीजीपी को अदालत में तलब करने के अलावा कोई चारा नजर नहीं आया।

खंडपीठ में सोमवार को पेश हुए मुख्य सचिव सीके मैथ्यूज ने अदालत के नोटिस का जवाब देते हुए कहा कि राच्य में पिछले तीन वर्ष में गुम हुए 5,600 लोगों में से करीब 4 हजार को ढूंढ लिया गया है। उन्होंने अन्य राच्यों के गुमशुदगी के आंकड़े पेश करते हुए कहा कि एक साल में गुजरात में 10,600 यूपी में 8,500 तथा एमपी में 13,900 लोग गायब हैं। इस पर न्यायधीश माथुर ने कहा कि क्या आप दूसरे राच्यों को आंकड़े बता कर अपने राच्य को श्रेष्ठ बताना चाहते हैं। जहां तक दूसरे राच्यों का सवाल है पंजाब तथा हिमाचल प्रदेश में पुलिस की वेबसाइट पर गुमशुदा लोगों के नाम, पते व फोटो तक अपलोड किए हुए हैं, क्या आपने कर रखे हैं। इस पर उन्होंने कहा कि फंड की कमी है।

खंडपीठ ने इस पर उनसे पूछा कि आपकी सरकार निशुल्क दवा वितरण तथा कई अन्य निशुल्क कार्य करती है, तो पुलिस के विकास तथा आधुनिकरण करण के बारे में प्रयास क्यों नहीं कर रही है। अभी तक आपने पुलिस के विकास व आधुनिकीकरण के बारे में कुछ नहीं बताया। इस पर मैथ्यूज ने कहा कि राच्य सरकार ने इस वर्ष पुलिस के लिए 2500 करोड़ का बजट दिया है, जिससे 10 हजार कांस्टेबलों की भर्ती की जा रही है। 15 जिलों में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग स्क्वैड तैयार किए गए हैं।

सरकार साधारण अंग्रेजी नहीं समझती

खंडपीठ के न्यायाधीश आरएस चौहान ने अदालत के नोटिस पर सरकार की ओर से लोगों के गायब होने के कारण तथा उनको ढूंढने के लिए पूछे गए सुझावों तथा पुलिस के आधुनिकीकरण का एक्शन प्लान नहीं बताने पर टिप्पण करते हुए कहा कि लगता है सरकार साधारण अंग्रेजी नहीं समझती अथवा जानबूझ कर मुख्य समस्या से ध्यान हटाना चाहती है।

खंडपीठ में मौजूद अतिरिक्त महाअधिवक्ता आनंद पुरोहित ने जब सीके मैथ्यूज से मुखातिब न्यायाधीश माथुर से शांति रखने का कहा तो न्यायाधीश माथुर ने उनसे कहा कि कैसे शांति रखें, यहां प्रदेश में पांच हजार से अधिक लोग गायब हैं तथा आप शांति रखने के लिए कह रहे हैं। उन्होंने पुरोहित के साथ मौजूद प्रद्युम्नसिंह व बरकत खां मेहर से भी कहा कि बंदी प्रत्यक्षीकरण की एक एक फाइल में दो-दो सौ ऑर्डर लगे हुए होंगे, लेकिन हर बार कॉर्पस के बिना खाली हाथ लौटने वालों का आप लोग बचाव करते रहते हैं।

खंडपीठ ने अंत में एक बार फिर राच्य सरकार के उच्चाधिकारियों को कहा कि वे अन्य राच्यों की चिंता छोड़ें व 30 अक्टूबर तक लोगों के गुम होने के मूल कारणों का पता लगा कर उनके निवारण के लिए सुझाव दें साथ में पुलिस को आधुनिक बनाने का एक्शन प्लान भी बताएं।

उन्होंने कहा सबसे अधिक गुम होने वाले लोग डूंगरपुर, बांसवाड़ा व उदयपुर जिलों में बताए गए हैं जहां आदिवासी रहते हैं। इसके बाद गंगानगर व हनुमानगढ़ का नाम आता है जो पंजाब पाक बॉर्डर के पास आता है। आप जरा मानव तस्करी के एंगल से भी देखें तथा इसे रोकने की कवायद करें।

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