कहते हैं जब दुश्मन सामने हो तो बस एक बात ज़हन में आती है और वो है उसे किस तरह से और कितना ज्यादा नुकसान पहुंचा जाए पर कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो इन दीवारों को तोड़ने में यकीन रखते हैं.
ख़सान बीव एक ऐसे ही डॉक्टर हैं जो चेचन्या के कट्टर मुस्लिम परिवार से सरोकार रखते हैं. लेकिन जब 1994 और 1999 में रूस ने चेचन्या पर हमले किए तो बीव ने हमले में घायल चेचन्या के लोगों और सैनिकों का तो इलाज किया ही, रूसी लोगों का भी उतनी ही शिद्दत से इलाज किया.
उस वक्त ख़सान बीव चेचन्या के ग्रोज्नी में अपना ये छोटा सा क्लीनिक चलाते थे जो बेसमेंट में था.
हमले के दौरान ही घायलों को बीव के क्लीनिक में लाया जाता था और उनका वहां इलाज होता था. लेकिन इनमें वो लोग भी थे जो चेचन्या के दुश्मन भी थे.
लेकिन इन सब से उपर था ख़सान बीव का फर्ज. बीव कहते हैं, “मेरे पिता ने मुझसे कहा था, तुम मुसलमान हो और एक डॉक्टर भी और तुम्हें अपना फर्ज निभाना चाहिए. तुम्हें लोगों की मदद जरूर करनी चाहिए.”
ख़तरों का खिलाड़ी
लेकिन दोनों तरफ के लोगों का इलाज करना बीव के लिए ख़तरे से खाली नहीं था.
बीव की नजर में बेशक लोग सिर्फ जरूरतमंद घायल होते थे, चेचेन या रूसी नहीं लेकिन ये बात सबके लिए पचा पाना संभव नहीं था.
एक दिन ऐसा भी आया जब बीव को चेचेन्या छोड़ भागना पड़ा.
दोनों युद्ध में साढ़े चार हजार के करीब लोगों का इलाज करने वाले बीव को पीठ दिखा कर भागना पड़ा.
ये रूस की हार थी या चेचन्या की ये कोई नहीं कह सकता लेकिन इतना तो तय है कि दिक्कतें दोनों को हुई होंगी.
इस दौरान वो ब्रिटेन में रहे. ख़सान बीव इस वक्त अमरीकी नागरिक हैं लेकिन चेचन्या से उनका नाता टूटा नहीं है. वो साल में कुछ महीनों के लिए चेचन्या आते हैं.
बीव आजकल प्लास्टिक सर्जन के तौर चेचन्या में खासे मशहूर हैं और बच्चों का इलाज भी करते हैं.
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