मिस्र के राष्ट्रपति मुर्सी हुए ताकतवर

मिस्र के राष्ट्रपति मुहम्मद मुर्सी ने संवैधानिक घोषणा कर व्यापक अधिकार प्राप्त कर लिए हैं। इसके अनुसार 30 जून को मुर्सी के पद ग्रहण करने के बाद से जारी घोषणाओं, कानूनों और आदेशों के खिलाफ अपील नहीं की जा सकती है। इन्हें सरकारी संस्थाओं द्वारा रद भी नहीं किया जा सकता है। विद्रोह को रोकने और राष्ट्रीय एकता बनाए रखने व राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए राष्ट्रपति को कोई भी कदम उठाने के लिए अधिकृत किया गया है।

गुरुवार को की गई संवैधानिक घोषणा में कहा गया है कि कोई भी अदालत नए संविधान का प्रारूप तैयार करने वाली संविधान सभा को भंग नहीं कर सकता है। प्रारूप तैयार करने की समयसीमा दो महीने बढ़ा दी गई है। मुर्सी ने मुख्य अभियोजक को पद से हटा दिया है। उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति होस्नी मुबारक के शासन के दौरान प्रदर्शनकारियों पर हमले के आरोपियों के खिलाफ फिर से मुकदमा चलाने का आदेश दिया है।

ताजा घोषणा से मुर्सी के निर्णय को न्यायपालिका द्वारा निरस्त किए जाने से रोका जा सकेगा। मुर्सी के इस कदम की व्यापक आलोचना हो रही है। आलोचकों का कहना है कि जिस विद्रोह के बाद मुबारक को पद छोड़ना पड़ा था, मुर्सी उससे मिले लाभ को खतरे में डाल रहे हैं। फलस्तीन के आतंकी गुट हमास और इजरायल के बीच संघर्ष विराम के लिए मध्यस्थता करने को लेकर विश्व नेताओं द्वारा राष्ट्रपति की प्रशंसा किए जाने के बाद मुर्सी का यह निर्णय सामने आया है। उनके इस निर्णय के खिलाफ विपक्ष ने देश भर में विरोध करने का फैसला किया है। विपक्ष के नेता मुहम्मद अल बरदेई ने मुर्सी पर ‘नए फराओह [प्राचीन मिस्र के राजा]’ की तरह काम करने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि नई घोषणा ने राष्ट्रपति को कानून से ऊपर का स्थान दे दिया है।

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