पाकिस्तान में सियासी संकट गहराता जा रहा है। सरकार चारों ओर से घिरी हुई है। एक तरफ सुप्रीम कोर्ट ने एक पुराने रेंटल पावर प्रोजेक्ट घोटाले के मामले में प्रधानमंत्री राजा परवेज अशरफ को गिरफ्तार करने के लिए कहा है तो दूसरी तरफ तहरीक-मिनहाज-उल-कुरान संगठन के प्रमुख मौलवी ताहिर अल कादरी सड़क से संसद में परिवर्तन की बयार चला रहे हैं। आशंका जताई जा रही है कि कादरी कहीं सेना की कठपुतली तो नहीं है। उधर अमेरिका ने पाकिस्तान में चल रही राजनीतिक उथल-पुथल को लेकर बयान दिया है कि पाकिस्तान में जनतांत्रिक सरकार का गठन होना चाहिए।
कोर्ट ने एकाउंटेबिलिटी ब्यूरो को ये आदेश दिया है कि वह अशरफ को 24 घंटे के अंदर गिरफ्तार करे। अशरफ के अलावा 15 और लोगों की गिरफ्तारी के आदेश दिए गए हैं। मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक ये प्रोजेक्ट करीब 22 अरब रुपये का है। पाकिस्तान की सत्तारूढ़ पीपीपी सरकार से इस्तीफे समेत कई मांगों को लेकर लाहौर से इस्लामाबाद तक मार्च निकाल कर संसद पहुंचे प्रभावशाली मौलवी ताहिर उल कादरी के समर्थकों और पुलिस के बीच मंगलवार को जबदस्त भिड़ंत हुई। प्रदर्शनकारियों ने सरकार को भंग करने और कार्यकारी सरकार का गठन होने की घोषणा होने तक संसद के सामने प्रदर्शन करने की बात कही। संसद के सामने बुलेट प्रूफ सुरक्षा दायरे में मिनहाज-अल-कुरान के चीफ कादरी ने पाकिस्तानी सेना और न्यायपालिका की जमकर तारीफ की। उन्होंने उर्दू और अंग्रेजी मिश्रित भाषण में कहा, सरकार ने हमारे सशस्त्र बलों की क्षमता का दुरुपयोग किया और उसे बदनाम किया। सेना इसलिए कुछ नहीं कर पाती क्योंकि राजनेता कोई निर्णय नहीं ले पाते। वहीं हमारी स्वतंत्र न्यायपालिका फैसले देती है, लेकिन सरकार उन्हें लागू करने के लिए तैयार नहीं है। माना जा रहा है कि कादरी को पाकिस्तानी सेना का समर्थन प्राप्त है। राजनीति से भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए चुनाव सुधार की मांग को लेकर कादरी ने हजारों समर्थकों के साथ इस्लामाबाद के बीचो बीच जिन्ना एवन्यू में रैली निकाली और सरकार को राष्ट्रीय और प्रांतीय असेंबली भंग करने का अल्टीमेटम दिया। उन्होंने कहा कि वह लोगों की लोकतांत्रिक क्रांति का नेतृत्व कर रहे हैं। इस बीच प्रदर्शनकारियों को तितरबितर करने के लिए पुलिस ने हवा में गोलियां चलाई और आसूं गैस के गोले छोड़े।
मांगें की खारिज
गृह मंत्री रहमान मलिक ने स्थानीय टेलीविजन पर कादरी की मांगों को असंवैधानिक बताते हुए खारिज कर दिया। उन्होंने कहा,हम कादरी के दबाव में नहंी आएंगे क्योंकि उनकी मांगें असंवैधानिक हैं। कादरी के प्रवक्ता शाहिद मुरसलीन ने कहा कि समर्थकों ने कादरी को पुलिस को गिरफ्तार नहीं करने दिया। कादरी की पार्टी ने संसद से कुछ किमी तक शांतिपूर्ण रैली निकालने के लिए इस्लामाबाद प्रशासन से लिखित समझौता किया था।
दो धड़े में बंटा अभियान
कुछ लोग कादरी को चुनाव सुधार केहिमायती के तौर पर देख रहे हैं जबकि कुछ पाकिस्तानी सेना की कठपुतली के तौर पर। कादरी ने सेना के साथ संबंध से इन्कार किया है। कार्यकारी सरकार के गठन में सेना महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।