पाक के ढीले पड़े तेवर, भारत से बातचीत को हुआ मजबूर

सीमा पार से टकराव की आग भड़काने की कोशिशों पर भारत के सख्त रुख के कारण अब पाकिस्तान के तेवरों में नरमी दिखाई दी है। प्रधानमंत्री और सेना प्रमुख के कठोर संदेशों के साथ वीजा ऑन अराइवल के क्रियान्वयन को टालने, पाक व्यापार मंत्री की आगामी नई दिल्ली यात्रा के प्रति उदासीन रवैया दिखाने और हॉकी खिलाड़ियों के वापस भेजने सहित उठाए गए कदमों के एक दिन बाद ही पाकिस्तान की हेकड़ी निकल गई। उसने 2003 से नियंत्रण रेखा पर लागू संघर्षविराम को बहाल करने के लिए भारत से बातचीत की पेशकश की है।

भारत पर युद्ध भड़काने का आरोप लगाने वाली पाकिस्तान की विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार ने अपने भारतीय समकक्ष सलमान खुर्शीद को चर्चा और संवाद का प्रस्ताव दिया है, ताकि नियंत्रण रेखा पर चल रहे संकट का समाधान किया जा सके।

हिना ने इस्लामाबाद में जारी बयान में कहा कि सीमा पार से सेना और राजनीतिक नेताओं द्वारा उकसाने वाले और तनाव को भड़काने वाले बयान देने की बजाय यह दोनों देशों के लिए ठीक होगा कि वे नियंत्रण रेखा को लेकर सभी चिंताओं पर चर्चा करें, ताकि संघर्षविराम का सम्मान फिर से बहाल किया जा सके। चीजों को सुलझाने के लिए यह बातचीत विदेश मंत्री स्तर पर हो सकती है।

पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा दो भारतीय सैनिकों की हत्या के बीच भारत पर युद्ध भड़काने का आरोप लगाने के एक दिन बाद हिना ने कहा कि बयानबाजी और तनाव को भड़काने से कोई फायदा नहीं होने वाला।

भारतीय सैनिकों की हत्या के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कड़ा बयान जारी करते हुए कहा था कि पाकिस्तान के साथ रिश्ते सामान्य नहीं रह सकते हैं।

उल्लेखनीय है कि 742 किलोमीटर लंबी सीमा रेखा पर वर्ष 2003 से चल रहे संघर्षविराम का पिछले 10 दिन में कई बार उल्लंघन हुआ है और इस दौरान दो भारतीय सैनिकों की मौत हो गई।

उधर, बीते शाम न्यूयॉर्क में थिंक टैंक काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस (सीएफआर) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में हिना ने कहा कि हम विदेश मंत्रियों के स्तर पर चर्चा और संवाद करेंगे, ताकि नियंत्रण रेखा की घटनाओं का समाधान किया जा सके और साथ ही साथ संघर्षविराम के सम्मान का फिर से संकल्प किया जा सके। पाकिस्तान वर्ष 2003 में हुए संघर्षविराम के सम्मान के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।

पाक विदेश मंत्री ने कहा कि नियंत्रण रेखा पर संघर्षो और सैनिकों की हत्या ने दुर्भाग्यवश सवाल खड़े किए हैं, लेकिन हम अब भी इस बात पर विश्वास करते हैं कि इस मुद्दे या किसी अन्य के समाधान का तरीका बातचीत होना चाहिए।

हिना रब्बानी ने कहा कि पाकिस्तान और भारत दक्षिण एशिया के महत्वपूर्ण देश हैं और यह जरूरी है कि दोनों देश जिम्मेदारी दिखाएं और सभी मुद्दों का समाधान बातचीत के जरिए निकालकर शांति सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान इस बात से दुखी और निराश है कि भारत की मीडिया और कुछ भारतीय नेताओं, दोनों की ओर से नकारात्मक बयान आ रहे हैं। हिना ने कहा कि इस्लामाबाद ने भारत पर दिए अपने सार्वजनिक बयानों को नपा-तुला रखा और सोच-समझकर आत्मसंयम बरता है और यह इस क्षेत्र की शांति को ध्यान में रखकर किया गया।

इससे पहले पाकिस्तानी सेना के डायरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑपरेशन ने अपने भारतीय समकक्ष को फोन कर बताया है कि नियंत्रण रेखा पर तैनात सभी पाक फौजियों को शांति समझौते का सख्ती से पालन करने व संयम बरतने के आदेश दिए गए हैं।

सेना मुख्यालय के सूत्रों के अनुसार बुधवार सुबह 10:00 बजे दोनों सैन्य अधिकारियों के बीच करीब 10 मिनट तक बातचीत हुई। इस दौरान दोनों पक्षों ने तनाव को कम करने पर रजामंदी जताई। पाकिस्तानी अधिकारी ने नियंत्रण रेखा पर हुई गोलाबारी में अपने सैनिकों की मौत का मामला भी उठाया। हालांकि भारत ने यह स्पष्ट कर दिया कि गोलाबारी की शुरुआत हमारी ओर से नहीं की गई। जवाबी कार्रवाई भी काफी नियंत्रित तौर पर की गई। भारतीय सैन्य खेमे के मुताबिक पाकिस्तानी रुख का आकलन सीमा पर उसके बर्ताव से किया जाएगा।

भारत ने नियंत्रण रेखा पर अपनी निगरानी सख्त कर दी है। इसके लिए थर्मल इमेजर व नाइट विजन उपकरणों से न केवल कड़ी चौकसी बरती जा रही है, बल्कि हालात से निपटने के लिए भी पूरी तैयारी की गई है। भारतीय सीमा में पाकिस्तान की तरफ से लगाए गए लैंडमाइन्स भी बरामद किए गए हैं। पाकिस्तान निर्मित लैंडमाइन्स की तस्वीरें सुबूत के तौर पर पड़ोसी देश की सेना को सौंप दिए गए।

इस बीच, शाम को तीनों सेना प्रमुखों ने राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय के लिए हुई बैठक के दौरान ताजा हालात पर चर्चा की। सेनाध्यक्ष जनरल बिक्रम सिंह के मथुरा से लौटने के बाद शुरू हुई यह बैठक करीब तीन घंटे तक चली।

सेना दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नियंत्रण रेखा पर दो भारतीय जवानों की नृशंस हत्या की घटना को बर्बरतापूर्ण बताते हुए दो-टूक कहा था कि इसके बाद पाक के साथ संबंध सामान्य नहीं रह सकते।

प्रधानमंत्री ने सेनाध्यक्ष जनरल बिक्रम सिंह के बयानों का भी समर्थन किया था कि उकसावे की किसी कार्रवाई का भारत माकूल जवाब देगा। इससे पहले तक पाकिस्तानी सेना का रवैया काफी सीनाजोरी का था। पाक अधिकारियों ने न तो 9 जनवरी को हुई बातचीत में किसी तरह की नरमी दिखाई थी और न ही चकना-दा-बाग में नियंत्रण रेखा पर हुई फ्लैग मीटिंग में उसके रवैये में कोई बदलाव आया था। पाकिस्तान के इसी रवैये के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की ओर से सख्त संदेश दिया गया था।

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