आइएसआइ को बचा ले गया अमेरिका

अमेरिका ने न सिर्फ लश्कर आतंकी हेडली पर नरमी दिखाई, बल्कि मुंबई हमले की साजिश में शमिल पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ को भी साफ बचा ले गया। 26/11 हमले में अमेरिकी अदालत से 35 वर्ष कैद की सजा पाए हेडली ने आतंकी हमलों में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ और आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की भूमिका के बारे में कई चौंकाने वाली जानकारियां दी थीं। हेडली से पूछताछ में पता चला था कि आइएसआइ का एक मेजर भारत में हमले की साजिश को अंजाम देने के लिए धन भी मुहैया कराता था। मुंबई हमले से पहले लश्कर और आइएसआइ ने हेडली को पैगंबर साहब का कार्टून बनाने को लेकर डेनिश अखबार पर हमले की साजिश रचने के लिए डेनमार्क भेजा था। पहला हमला सफल नहीं हो पाया। इसके बाद अलकायदा ने डेनिश अखबार पर हमला करने की ठानी। तीसरी बार रेकी के लिए डेनमार्क पहुंचने की तैयारी कर रहे हेडली को गिरफ्तार कर लिया गया। हेडली को निर्देश देने वालों की पहचान आइएसआइ के मेजर इकबाल और लश्कर के पूर्व मुखिया साजिद मीर के तौर पर हुई। साजिद मीर ही मुंबई हमले की साजिश रचने वाला मुख्य आतंकी था।

अमेरिकी और भारतीय अधिकारियों के मुताबिक इकबाल अब भी पाकिस्तानी सेना में अधिकारी है और मीर आइएसआइ के संरक्षण में पाकिस्तान में रह रहा है। गुरुवार को अमेरिका के इलिनॉय के उत्तरी जिले में कार्यकारी अटॉर्नी गैरी एस. शैपिरो से जब यह पूछा गया कि पाकिस्तान ने आरोपी मास्टरमाइंड को पकड़ने के लिए कोई प्रयास किया या नहीं तो उन्होंने कहा, मुझे कोई जानकारी नहीं है। मामले से जुड़े एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि उसे इस सवाल का जवाब पता है। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान में कोई भी मास्टरमाइंड को तलाश नहीं कर रहा है। हालांकि उन्होंने हेडली को दी गई सजा का पक्ष लेते हुए कहा कि जटिल अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र के मुकदमों में हेडली जैसे गवाह तैयार करना अहम होता है। वैसे अब तक इसका भी जवाब नहीं मिला है कि हेडली की पत्‍ि‌नयों द्वारा 2001-08 के बीच उसके आतंकी गतिविधियों में शामिल होने को लेकर दी गई छह चेतावनियों पर एफबीआइ ने सुस्ती क्यों बरती। कई भारतीय और पश्चिमी अधिकारियों का मानना है कि अगर एफबीआइ ने चेतावनियों पर जांच शुरू की होती तो मुंबई हमले को टाला जा सकता था। एफबीआइ, अमेरिकी ड्रग इनफोर्समेंट एडमिनिस्ट्रेशन (डीईए) और अन्य एजेंसियां अब तक यह भी स्पष्ट नहीं कर पाई हैं कि हेडली ने उनके लिए कब तक काम किया? डीईए के मुताबिक 2002 की शुरुआत में जब हेडली ने लश्कर से प्रशिक्षण लेना शुरू किया तभी उसे हटा दिया गया था। अन्य अमेरिकी एजेंसियों के मुताबिक उसने 2005 तक डीईए एजेंट के तौर पर काम किया, जबकि भारतीय अधिकारियों का आरोप है कि हेडली ने उसके बाद भी बतौर अमेरिकी एजेंट काम जारी रखा। डायरी में लिखे थे पाकिस्तानी अफसरों के नंबर अमेरिकी जांचकर्ताओं को मुंबई के गुनहगार डेविड कोलमैन हेडली उर्फ दाऊद गिलानी की डायरी से पाकिस्तानी सेना के कुछ अफसरों समेत आतंकियों की मदद करने वाले कई लोगों के फोन नंबर मिले थे। मुंबई हमले की साजिश में पाकिस्तानी सेना, खुफिया एजेंसी आइएसआइ और आतंकी संगठन जमात-उद-दावा (जेयूडी) की संलिप्तता के ये पुख्ता सुबूत हैं। शिकागो अदालत में हेडली के साथी तहव्वुर हुसैन राणा के खिलाफ सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने हेडली की हस्तलिखित डायरी के दो पेज पेश किए थे। इनमें आइएसआइ के अधिकारी मेजर इकबाल और एक अन्य मेजर एसएम के नाम व नंबर भी लिखे हैं। इन पन्नों में जेयूडी प्रमुख हाफिज सईद के मुख्य सहयोगी अब्दुर रहमान मक्की का भी नाम है। डायरी में लिखे अन्य नाम और नंबरों में जहांगीर इनाम, तहसीन, इजाज एम, ताहिर, मंजूर और खालिद का भी नाम है। कुछ संक्षिप्त नामों के तौर पर एआर, एमएच, एमबी और सीबी भी लिखे हैं। दो नंबर दुबई में रहने वालों के भी थे। अब अमेरिकी जांच एजेंसी इसे खंगालने में जुटी है।

हेडली की सजा पर अमेरिका की सफाई

लश्कर आतंकी डेविड हेडली की सजा पर भारत से उठ रहे आलोचना के स्वरों के बीच अमेरिका ने अपनी सफाई पेश की है। अमेरिकी दूतावास ने शक्रवार शाम बयान जारी कर कहा कि हेडली को दी गई सजा सख्त है।

कानून के साथ उसके सहयोग के बाद ही उसके लिए मौत की सजा न मांगने का फैसला लिया गया। एक शीर्ष सीनेटर ने भी कहा है कि हेडली के लिए अभियोजन पक्ष की ओर से पर्याप्त सजा की मांग की गई। अमेरिका के अनुसार, हेडली ने कई अहम जानकारियां मुहैया कराई हैं। साथ ही उसके अमेरिका, भारत सहित अन्य देशों की एजेंसियों की मदद करने व संभावित आतंकी हमले रोकने में सहयोग के भरोसे के कारण उसके लिए मृत्युदंड न मांगने का फैसला लिया गया।

अमेरिका के मुताबिक हेडली ने अपने साथी आतंकी तहव्वुर हुसैन राणा के खिलाफ गवाही दी जो 14 साल का कारावास भुगत रहा है। इसके अलावा उससे आतंकी इलियास कश्मीरी के बारे में भी काफी जानकारियां हासिल हो सकीं। अमेरिका के मुताबिक हेडली ने भारतीय जांचकर्ताओं के सवालों का भी जवाब दिया। साथ ही पूछताछ में अमेरिकी जांचकर्ताओं को पांच आतंकवादियों के खिलाफ आरोप तय करने में भी मदद की। इसके अलावा हेडली से लश्कर-ए-तैयबा के संगठन, आतंकियों, काम करने के तरीके पर काफी बारीकी से जानकारियां हासिल करने में मदद मिली। अमेरिकी सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ सहयोग का हवाला देते हुए अजमल कसाब को सजा दिलाने में एफबीआइ की मदद का उल्लेख किया। वहीं, सीनेट इंटेलीजेंस कमेटी के चेयरमैन डिआने फिनस्टीन ने कहा, मैंने हेडली के मुकदमे को देखा है। मेरा मानना है कि जांचकर्ताओं और अभियोजन पक्ष की ओर से पर्याप्त अवधि की सजा की मांग की गई। हेडली को 35 वर्ष की सजा सुनाए जाने के बाद सीनेटर ने यह टिप्पणी की है।

अमेरिका ने न सिर्फ लश्कर आतंकी हेडली पर नरमी दिखाई, बल्कि मुंबई हमले की साजिश में शमिल पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ को भी साफ बचा ले गया। 26/11 हमले में अमेरिकी अदालत से 35 वर्ष कैद की सजा पाए हेडली ने आतंकी हमलों में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ और आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की भूमिका के बारे में कई चौंकाने वाली जानकारियां दी थीं। हेडली से पूछताछ में पता चला था कि आइएसआइ का एक मेजर भारत में हमले की साजिश को अंजाम देने के लिए धन भी मुहैया कराता था। मुंबई हमले से पहले लश्कर और आइएसआइ ने हेडली को पैगंबर साहब का कार्टून बनाने को लेकर डेनिश अखबार पर हमले की साजिश रचने के लिए डेनमार्क भेजा था। पहला हमला सफल नहीं हो पाया। इसके बाद अलकायदा ने डेनिश अखबार पर हमला करने की ठानी। तीसरी बार रेकी के लिए डेनमार्क पहुंचने की तैयारी कर रहे हेडली को गिरफ्तार कर लिया गया। हेडली को निर्देश देने वालों की पहचान आइएसआइ के मेजर इकबाल और लश्कर के पूर्व मुखिया साजिद मीर के तौर पर हुई। साजिद मीर ही मुंबई हमले की साजिश रचने वाला मुख्य आतंकी था।

अमेरिकी और भारतीय अधिकारियों के मुताबिक इकबाल अब भी पाकिस्तानी सेना में अधिकारी है और मीर आइएसआइ के संरक्षण में पाकिस्तान में रह रहा है। गुरुवार को अमेरिका के इलिनॉय के उत्तरी जिले में कार्यकारी अटॉर्नी गैरी एस. शैपिरो से जब यह पूछा गया कि पाकिस्तान ने आरोपी मास्टरमाइंड को पकड़ने के लिए कोई प्रयास किया या नहीं तो उन्होंने कहा, मुझे कोई जानकारी नहीं है। मामले से जुड़े एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि उसे इस सवाल का जवाब पता है। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान में कोई भी मास्टरमाइंड को तलाश नहीं कर रहा है। हालांकि उन्होंने हेडली को दी गई सजा का पक्ष लेते हुए कहा कि जटिल अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र के मुकदमों में हेडली जैसे गवाह तैयार करना अहम होता है। वैसे अब तक इसका भी जवाब नहीं मिला है कि हेडली की पत्‍ि‌नयों द्वारा 2001-08 के बीच उसके आतंकी गतिविधियों में शामिल होने को लेकर दी गई छह चेतावनियों पर एफबीआइ ने सुस्ती क्यों बरती। कई भारतीय और पश्चिमी अधिकारियों का मानना है कि अगर एफबीआइ ने चेतावनियों पर जांच शुरू की होती तो मुंबई हमले को टाला जा सकता था। एफबीआइ, अमेरिकी ड्रग इनफोर्समेंट एडमिनिस्ट्रेशन (डीईए) और अन्य एजेंसियां अब तक यह भी स्पष्ट नहीं कर पाई हैं कि हेडली ने उनके लिए कब तक काम किया? डीईए के मुताबिक 2002 की शुरुआत में जब हेडली ने लश्कर से प्रशिक्षण लेना शुरू किया तभी उसे हटा दिया गया था। अन्य अमेरिकी एजेंसियों के मुताबिक उसने 2005 तक डीईए एजेंट के तौर पर काम किया, जबकि भारतीय अधिकारियों का आरोप है कि हेडली ने उसके बाद भी बतौर अमेरिकी एजेंट काम जारी रखा। डायरी में लिखे थे पाकिस्तानी अफसरों के नंबर अमेरिकी जांचकर्ताओं को मुंबई के गुनहगार डेविड कोलमैन हेडली उर्फ दाऊद गिलानी की डायरी से पाकिस्तानी सेना के कुछ अफसरों समेत आतंकियों की मदद करने वाले कई लोगों के फोन नंबर मिले थे। मुंबई हमले की साजिश में पाकिस्तानी सेना, खुफिया एजेंसी आइएसआइ और आतंकी संगठन जमात-उद-दावा (जेयूडी) की संलिप्तता के ये पुख्ता सुबूत हैं। शिकागो अदालत में हेडली के साथी तहव्वुर हुसैन राणा के खिलाफ सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने हेडली की हस्तलिखित डायरी के दो पेज पेश किए थे। इनमें आइएसआइ के अधिकारी मेजर इकबाल और एक अन्य मेजर एसएम के नाम व नंबर भी लिखे हैं। इन पन्नों में जेयूडी प्रमुख हाफिज सईद के मुख्य सहयोगी अब्दुर रहमान मक्की का भी नाम है। डायरी में लिखे अन्य नाम और नंबरों में जहांगीर इनाम, तहसीन, इजाज एम, ताहिर, मंजूर और खालिद का भी नाम है। कुछ संक्षिप्त नामों के तौर पर एआर, एमएच, एमबी और सीबी भी लिखे हैं। दो नंबर दुबई में रहने वालों के भी थे। अब अमेरिकी जांच एजेंसी इसे खंगालने में जुटी है।

हेडली की सजा पर अमेरिका की सफाई

लश्कर आतंकी डेविड हेडली की सजा पर भारत से उठ रहे आलोचना के स्वरों के बीच अमेरिका ने अपनी सफाई पेश की है। अमेरिकी दूतावास ने शक्रवार शाम बयान जारी कर कहा कि हेडली को दी गई सजा सख्त है।

कानून के साथ उसके सहयोग के बाद ही उसके लिए मौत की सजा न मांगने का फैसला लिया गया। एक शीर्ष सीनेटर ने भी कहा है कि हेडली के लिए अभियोजन पक्ष की ओर से पर्याप्त सजा की मांग की गई। अमेरिका के अनुसार, हेडली ने कई अहम जानकारियां मुहैया कराई हैं। साथ ही उसके अमेरिका, भारत सहित अन्य देशों की एजेंसियों की मदद करने व संभावित आतंकी हमले रोकने में सहयोग के भरोसे के कारण उसके लिए मृत्युदंड न मांगने का फैसला लिया गया।

अमेरिका के मुताबिक हेडली ने अपने साथी आतंकी तहव्वुर हुसैन राणा के खिलाफ गवाही दी जो 14 साल का कारावास भुगत रहा है। इसके अलावा उससे आतंकी इलियास कश्मीरी के बारे में भी काफी जानकारियां हासिल हो सकीं। अमेरिका के मुताबिक हेडली ने भारतीय जांचकर्ताओं के सवालों का भी जवाब दिया। साथ ही पूछताछ में अमेरिकी जांचकर्ताओं को पांच आतंकवादियों के खिलाफ आरोप तय करने में भी मदद की। इसके अलावा हेडली से लश्कर-ए-तैयबा के संगठन, आतंकियों, काम करने के तरीके पर काफी बारीकी से जानकारियां हासिल करने में मदद मिली। अमेरिकी सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ सहयोग का हवाला देते हुए अजमल कसाब को सजा दिलाने में एफबीआइ की मदद का उल्लेख किया। वहीं, सीनेट इंटेलीजेंस कमेटी के चेयरमैन डिआने फिनस्टीन ने कहा, मैंने हेडली के मुकदमे को देखा है। मेरा मानना है कि जांचकर्ताओं और अभियोजन पक्ष की ओर से पर्याप्त अवधि की सजा की मांग की गई। हेडली को 35 वर्ष की सजा सुनाए जाने के बाद सीनेटर ने यह टिप्पणी की है।

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