अंधेरे में देख सकने की विलक्षण क्षमता वाला उल्लू अपनी लचीली गर्दन के लिए मशहूर है और अब वैज्ञानिकों ने इसके कारण का भी पता लगा लिया है।
उल्लू किसी भी दिशा में अपनी गर्दन को लगभग पूरा [270 डिग्री तक] घुमा सकता है और खास बात यह है कि ऐसा करने में उसकी गर्दन के रास्ते मस्तिष्क तक जाने वाली एक भी रक्त वाहिका को कोई नुकसान नहीं पहुंचता। उल्लू की शारीरिक संरचना के अध्ययन के लिए दर्जनों उल्लुओं के एक्स-रे और सीटी स्कैन्स किए गए। वरिष्ठ अनुसंधानकर्ता फिलिप्पे गैलौड ने कहा कि उल्लुओं का गर्दन घुमाना हमेशा से एक रहस्य रहा लेकिन अब यह सुलझ गया है। इस अध्ययन के लिए उल्लू की नसों में रंगीन तरल प्रवाहित कर कृत्रिम रक्त प्रवाह बढ़ाया गया। उल्लू के जबड़े की हड्डी से ठीक नीचे सिर के आधार में स्थित रक्त वाहिकाएं रंगीन तरल के पहुंचने के साथ-साथ लंबी होती गई। यह प्रक्रिया तब तक चली जब तक कि यह रंगीन तरल रक्त भंडार में जमा नहीं हो गया।
उल्लू में पाया जाने वाला यह गुण बिल्कुल अनोखा है जबकि मनुष्य में ऐसा नहीं होता है। मनुष्य में ठीक इसके विपरीत क्रिया होती है। मनुष्य में गर्दन घुमाने से ये वाहिकाएं छोटी होती जाती हैं। शोधकर्ताओं के इस अध्ययन को एक फरवरी की साइंस पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।