विकास दर 5.5 फीसद पर सिमटने के आसार

 कर्ज की ऊंची ब्याज दर, महंगाई और मांग में कमी ने कारखानों के उत्पादन की रफ्तार क्या घटाई, चालू वित्त वर्ष में पूरी अर्थव्यस्था की तस्वीर ही बदल गई है। अर्थव्यवस्था की सूरत बदलने की तमाम कोशिशों के बावजूद इस साल आर्थिक विकास की दर साढ़े पांच फीसद से ऊपर जाने की संभावना नहीं बन रही है। अगले गुरुवार तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) के जीडीपी आंकड़े जारी होने के बाद अर्थव्यवस्था की तस्वीर और साफ हो जाएगी।

अर्थव्यवस्था में सुस्ती को देखते हुए सरकार वित्त वर्ष की शुरुआत में रखे गए 7.3 फीसद की विकास दर लक्ष्य में कई बार संशोधन कर चुकी है। खुद वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने विकास दर के 5.7 फीसद से 5.9 फीसद के बीच रहने का अनुमान लगाया है। पिछले सप्ताह मौद्रिक नीति की तिमाही समीक्षा में रिजर्व बैंक ने भी अपने अनुमान को संशोधित कर 5.5 फीसद की विकास दर तक सीमित कर लिया है।

अगले हफ्ते सरकार सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के तीसरी तिमाही के अनुमानित आंकड़े जारी करेगी। दूसरी और तीसरी दोनों तिमाही में औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार बेहद सुस्त रही है। सूत्रों का कहना है कि इस वजह से तीसरी तिमाही में भी जीडीपी के 5.5 फीसद के आसपास रहने का अनुमान है। जुलाई से लेकर नवंबर तक औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार में काफी उतार-चढ़ाव रहा है। अक्टूबर में त्योहारों की वजह से तेजी रही। इस महीने को छोड़ दिया जाए तो बाकी महीनों में औद्योगिक उत्पादन की दर बेहद कम रही।

जहां तक जीडीपी के अनुमान का सवाल है, तमाम देसी-विदेशी एजेंसियों ने पूरे साल के लिए 5.4 से 5.9 फीसद विकास दर का अनुमान लगाया है। पहली तिमाही में विकास दर 5.5 फीसद रही थी, जबकि दूसरी तिमाही में 5.3 फीसद। दोनों तिमाहियों में मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र ने अर्थव्यवस्था में नाममात्र की हिस्सेदारी निभाई। कुछ यही हाल तीसरी तिमाही का भी रहने का अनुमान है।

विकास के अनुमान

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संस्था अनुमान (फीसद में)

पीएमईएसी 6.7

वित्त मंत्रालय 5.7-5.9

मुद्राकोष 5.4

विश्व बैंक 5.4

ओईसीडी 4.4

एडीबी 5.4

एनसीएईआर 5.9

कारखानों की रफ्तार

महीना वृद्धि दर (फीसद में)

अप्रैल 0.1

मई 2.4

जून -1.8

जुलाई 0.1

अगस्त 2.7

सितंबर -0.4

अक्टूबर 8.2

नवंबर -0.1

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