पाकिस्तान: प्रधानमंत्री को अंतिम समयसीमा

पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति आसिफ़ अली ज़रदारी के ख़िलाफ़ दायर भ्रष्टाचार के मामले खोलने के लिए प्रधानमंत्री को आठ अगस्त तक स्विस अधिकारियों को पत्र लिखने की अंतिम समयसीमा दी है.

जस्टिस आसिफ़ सईद खोसा की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट की पाँच सदस्यी खंडपीठ ने प्रधानमंत्री राजा परवेज़ अशरफ़ से कहा कि वह आठ अगस्त से पहले स्विस अधिकारियों को पत्र लिखें.

ग़ौरतलब है कि पिछली सुनवाई में अदालत ने इस मुक़दमे में प्रधानमंत्री राजा परवेज़ अशरफ़ को 25 जुलाई तक राष्ट्रपति आसिफ़ अली ज़रदारी के ख़िलाफ़ दायर भ्रष्टाचार के मामले फिर से खोलने के लिए स्विस अधिकारियों को पत्र लिखने के लिए कहा था.

इसे पहले मंगलवार को सरकार ने अदालत में अपना बयान जमा करवाया था, जिसमें कहा गया था कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अभी तक स्विस अधिकारियों को पत्र लिखने का फैसला नहीं लिया है.

‘अभी फैसला नहीं हुआ’

अटर्नी जनरल इरफ़ान क़ादिर ने यह बयान सरकार की ओर से जमा करवाया था, जिसमें स्पष्ट तौर पर कहा गया था कि प्रधानमंत्री राजा परवेज़ अशरफ़ अपने मंत्रिमंडल के फैसलों पर अमल करने के लिए वचनबद्ध हैं और अभी तक इस संबंध में उन्हें कोई सलाह नहीं दी गई है.

ग़ौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने इसी मामले में 19 जून को पूर्व प्रधानमंत्री यूसुफ़ रज़ा गिलानी को अयोग्य क़रार दिया था और उन्हें पद से हटा दिया गया था.

अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि यूसुफ़ रज़ा गिलानी ने राष्ट्रपति आसिफ़ अली ज़रदारी के ख़िलाफ़ भ्रष्टाचार के मामले खोलने के लिए स्विस अधिकारियों को पत्र न लिख कर अदालत की अवमानना की है.

बाद में राजा परवेज़ अशरफ़ ने नए प्रधानमंत्री की शपथ ली और 27 जून को उन्हें भी नोटिस जारी कर दिया गया था कि वह भी स्विस अधिकारियों को पत्र लिखें.

क्या है मामला?

पाकिस्तान की अदालत में पेश पुराने दस्तावेजों के मुताबिक स्विट्ज़रलैंड के बैंक के खातों में क़रीब छह करोड़ डॉलर ऐसे जमा हैं जिनके बारे में कहा जाता है कि वह राष्ट्रपति आसिफ अली ज़रदारी को ठेकों के बदले में दी गई रकम है.

ज़रादरी पर आरोप हैं कि उन्होंने अपनी पत्नी बेनजीर भुट्टो के प्रधानमंत्री रहते हुए रिश्वत ले कर स्विस कंपनियों को ठेके दिए थे.

बाद में परवेज़ मुशर्रफ और आसिफ अली ज़रदारी की स्वर्गीय पत्नी बेनजीर भुट्टो के बीच हुए एक राजनीतिक समझौते के चलते ज़रदारी के खिलाफ़ लगे गए तमाम आरोप वापस ले लिए गए.

साथ ही पाकिस्तान की सरकार ने स्विस अधिकारियों से यह रकम वापस लेने के प्रयास भी बंद कर दिए.

 

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