पाकिस्तान: उम्मीद की सुबह

pakisthan voter listनई दिल्ली। पाकिस्तान में आगामी 11 मई को होने जा रहे आम चुनाव की पृष्ठभूमि में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वहां के सियासी इतिहास में पहली बार पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार ने पांच वर्षो का कार्यकाल पूरा किया है। इससे पहले की सरकारों को पूरा कार्यकाल कभी मयस्सर नहीं हुआ। उनको बार-बार फौजी बूटों के तले रौंदा जाता रहा।

ऐसे अस्थिर माहौल में सरकार का पूरा कार्यकाल करना इस बात का संकेत है कि वहां लोकतंत्र परिपक्व हो रहा है। जो खासकर भारत जैसे पड़ोसी देश के हित में है। इस परिप्रेक्ष्य में पाकिस्तान पर केंद्रित श्रृंखला की पहली किस्त में वहां की राजनीतिक संरचना पर अतुल चतुर्वेदी की एक नजर:

स्वतंत्र देश:

1947 के भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम के तहत ब्रिटिश भारत दो स्वतंत्र भागों में विभाजित हुआ। 14 अगस्त, 1947 को पाकिस्तान अस्तित्व में आया। मुस्लिम लीग के नेता मुहम्मद अली जिन्ना पहले गवर्नरज नरल बने। लियाकत अली खान पहले प्रधानमंत्री बने संवैधानिक राजशाही 1956 तक पाकिस्तान में संवैधानिक राजशाही रही। ब्रिटेन के राजा जॉर्ज षष्ठम ने 1947 में भारत के शासक की पदवी का त्याग कर दिया। वह पाकिस्तान के राजा बने। छह फरवरी, 1952 को उनकी मृत्यु के बाद पुत्री महारानी एलिजाबेथ द्वितीय शासक बनीं। 1956 में देश में संविधान के अस्तित्व में आने के बाद राजशाही का अंत हो गया। देश में पहले लोकतांत्रिक चुनाव 1970 में हुए।

संविधान:

1956 में पहले संविधान के लागू होने के बाद पाकिस्तान लोकतांत्रिक संसदीय संघीय गणराज्य बना। इस्लाम को राज्य के धर्म के रूप में स्वीकारा गया। 1958 में अयूब खान ने इस संविधान को निलंबित कर दिया।

1973 में दूसरा संविधान लागू हुआ, लेकिन जनरल जियाउल हक ने 1977 में इसको निलंबित कर दिया। 1985 में यह पुन: लागू हुआ। पाकिस्तान की वर्तमान सरकार का ढांचा निर्मित करने वाला यह अब तक का सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज है।

संसद:

पाकिस्तान की संसद को मजलिसए- शूरा कहा जाता है। यह द्विसदनीय राजनीतिक व्यवस्था है जोकि सीनेट और नेशनल असेंबली से मिलकर बनती है। राष्ट्रपति भी इसका अंग होता है।

सीनेट:

100 सदस्यीय उच्च सदन है। एक तिहाई सदस्यों का चुनाव हर तीसरे वर्ष होता है। प्रत्येक सदस्य का कार्यकाल छह वर्ष का होता है। यदि देश में राष्ट्रपति का पद खाली है तो उसके नियुक्त होने तक सीनेट का चेयरमैन राष्ट्रपति की भूमिका निभा सकता है।

नेशनल असेंबली:

342 सदस्यीय निचला सदन है। इनमें से 272 सदस्य प्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित होते हैं। महिलाओं और अल्पसंख्यकों के लिए 70 सीटें आरक्षित हैं। दलों के आनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर इन आरक्षित सीटों का बंटवारा किया जाता है। बहुमत के आंकड़े के लिए राजनीतिक दल को 172 सीटों की दरकार होती है। असेंबली का कार्यकाल पांच साल होता है।

राष्ट्रपति:

राष्ट्र का मुखिया होता है। देश के चारों प्रांतों, सीनेट और नेशनल असेंबली के निर्वाचक मंडल द्वारा अप्रत्यक्ष निर्वाचन विधि से चुना जाता है। इसका कार्यकाल पांच साल का होता है। आम तौर पर प्रधानमंत्री नेशनल असेंबली के सबसे बड़े दल या गठबंधन का नेता होता है। प्रांतों में भी सरकार का यही स्वरूप होता है। प्रांतीय गवर्नरों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।

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