भारत ने अफ्रीका को अपना भरोसेमंद साझीदार बताया

vice president, Hamid Ansariअदिस अबाबा। भारत ने शनिवार की रात वचन दिया कि अफ्रीका महाद्वीप के लोगों के आर्थिक व सामाजिक सशक्तीकरण के लिए काम करने के मामले में उसका विश्वनीय साझीदार बना रहेगा। साथ ही और समानतावादी ढंग से अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की रूपरेखा को परिभाषित करने में मदद करेगा।

54 देशों वाले अफ्रीकी यूनियन (एयू) के ऐतिहासिक स्वर्ण जयंती सम्मेलन में चयनित दस गैर अफ्रीकी भागीदारों में शामिल भारत के उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा कि भारत का अफ्रीका से रिश्ता दक्षिण-दक्षिण सहयोग के दर्शन पर टिका है।

शनिवार सुबह यहां इथोपिया की राजधानी पहुंचे उपराष्ट्रपति अंसारी ने अफ्रीका के शीर्ष नेताओं के समूह को अपने संबोधन में कहा कि हमारा दृष्टिकोण हस्तक्षेप नहीं करने वाला और निर्देश नहीं देने वाला है और सबसे बढ़कर अफ्रीका की अपनी आवश्यकताओं के आकलन के अनुकूल है।

भारत एयू के उन दस चयनित सहयोगी देशों में है जिन्हें इसके 50 वें सम्मेलन में आमंत्रित किया गया है। अन्य देश अमेरिका, यूरोपीय संघ, फ्रांस, ब्राजील, रूस, चीन, जमैका, फलस्तीन और संयुक्त अरब अमीरात हैं।

इससे पहले यहां बोले हवाई अड्डे पर पहुंचने पर अंसारी का पारंपरिक ढंग से स्वागत किया गया। उन्होंने इथोपिया के प्रधानमंत्री और एयू के अध्यक्ष हेलमरियम डेसलेन से मुलाकात की। उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के उस संस्मरण को सुनाया, जिसमें वह मानते थे कि उनकी आजादी तब तक अपूर्ण है जब तक अफ्रीका उपनिवेशवाद और रंगभेद नीति का गुलाम है।

अंसारी ने कहा कि इतिहास में दर्ज है कि भारत ने 1946 में अफ्रीका में रंगभेद की वजह से उससे व्यापार पर प्रतिबंध लगाया था और उसी समय संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में रंगभेद को एजेंडा में शामिल कराने में अग्रणी भूमिका निभाई थी।

समारोह में संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की मून, अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन कैरी और चीन के राष्ट्रपति के शी चिनफिंग के विशेष दूत और उपप्रधानमंत्री वांग यांग भी भाग ले रहे हैं। सम्मेलन में अफ्रीकी देशों के नेताओं ने महाद्वीप को गरीबी मुक्त करने का संकल्प लिया।

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