मैरीकॉम पर ‘टिकी हैं पूर्वोत्तर की उम्मीदें’

1990 के दशक में थोएबा सिंह हॉकी खेलते थे और उनका नाम भरोसा जगाता था लेकिन आज मणिपुर के इंफाल में अपने घर में थोएबा सिंह को मैरीकॉम की सेमीफाइनल मैच का इंतजार है.

पूर्वोत्तर के दिग्गज खिलाड़ियों में से एक थोएबा सिंह का भरोसा है कि मैरी कॉम ही देश को गोल्ड मेडल दिला सकती हैं.

यह भरोसा सिर्फ़ थोएबा सिंह को नहीं है बल्कि मणिपुर में हज़ारों लोगो को है. थोएबा ने बीबीसी से हुई बातचीत में बताया कि लोग देर रात तक जाग कर मैरी कॉम के मुकाबले देख रहे हैं और बिजली नहीं है तो जेनरेटर से टीवी चला रहे हैं.

मैरीकॉम भी मणिपुर से हैं.

पूर्व ओलंपियन थोएबा ने कहा, “आज तक किसी भारतीय महिला ने गोल्ड मेडल नहीं जीता. नॉर्थ ईस्ट की लड़की इतने करीब पहुंची है. इस लिए पूरे नॉर्थ ईस्ट की निगाहें उन पर लगी हैं. मेरा मानना है कि जिस तरह से वह बॉक्सिंग कर रही है, वह यह मुकाम हासिल करने में सक्षम है.”

अपनी तेजी से विपक्षी डिफेंडरों के लिए थोएबा भी हमेशा सिरदर्द रहे हैं. वो कहते हैं, “ लोग रात को जाग कर मैरी कॉम की कामयाबी का मज़ा ले रहे हैं. यकीनन उनका पदक इस पूरे क्षेत्र के पहचान की बदलने वाली है. मुझे देवेंद्रो से भी उम्मीद है.”

पहचान का सवाल

थोएबा ने कहा, “मैरी कॉम का संभावित गोल्ड मेडल कई लिहाज से बड़ा होने वाला है. खासकर आदिवासी क्षेत्र का इस कामयाबी का काफी बड़ा असर पड़ने वाला है क्योंकि इसके बाद हर कोई यहाँ मैरी कॉम बनने का कोशिश करेगा. ”

थोएबा की नजर में मैरी कॉम का मेडल देश के बाकी हिस्सों के नॉर्थ ईस्ट को लेकर दृष्टिकोण को भी बदलेगा.

थोएबा ने कहा , “नॉर्थ ईस्ट और मणिपुर ने भारत को कई खिलाड़ी दिए हैं. लेकिन उसे वह पहचान नहीं मिली. मैरी कॉम भी काफी समय से हैं. लेकिन मैरी कॉम की जीत से मध्य भारत को इस पूरे इलाके को स्पोर्टस पॉवर हाउस के रुप में पहचानना पड़ेगा.”

थोएबा ने कहा कि नॉर्थ ईस्ट और मणिपुर ने भारतीय खेलों में काफी पहचान बनाई है और मैरी कॉम के प्रदर्शन के बाद भविष्य में भारत के प्रतिनिधित्व का दारोमदार इस पूर रीजन पर रहेगा.

 

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