बिश्केक। न्यूयार्क में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और उनके पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ से मुलाकात की दिशा में बातचीत एक पायदान और आगे बढ़ गई है। बिश्केक में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के सुरक्षा सलाहकार सरताज अजीज से अनौपचारिक वार्ता के बाद विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने इस बात के पुख्ता संकेत दिए हैं। सलमान ने मुंबई हमलों की जांच के लिए अभियोजक नियुक्त करने के पाकिस्तान सरकार के फैसले का स्वागत किया और कहा कि अजीज से उनकी मुलाकात बेहद सकारात्मक रही। अजीज ने भी आशा जताई कि दोनों देशों के बीच शांतिवार्ता और गति पकड़ेगी।
किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक में शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में शिरकत करने आए सलमान और सरताज की अनौपचारिक मुलाकात दोनों देशों के बीच रिश्तों के भविष्य के लिए बेहद अहम थी। न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के दौरान मनमोहन और शरीफ भेंट की पुख्ता जमीन तैयार करने का दारोमदार इसी बैठक पर था। मुंबई हमलों के गुनहगारों को अंजाम तक पहुंचाने की दिशा में पाकिस्तान के ताजा कदम ने शिखर वार्ता के लिए माहौल सुधारने का मौका दे दिया है। दोनों के बीच सीमा पर फायरिंग के मसले पर भी बात हुई। हालांकि, पाक ने संयुक्त राष्ट्र के आंकड़े देते हुए कहा कि नुकसान सिर्फ हिंदुस्तान का नहीं हुआ है।
बहरहाल गुरुवार देर रात दोनों नेताओं के बीच हुई अनौपचारिक वार्ता के बाद भारतीय विदेश मंत्री कुछ संतुष्ट नजर आए। उन्होंने कहा कि मुंबई हमले के गुनहगारों को सजा दिलाना हमारे लिए प्रतिबद्धता व संवेदनशीलता का विषय है। दोनों देशों के बीच बातचीत हो तो वातावरण अच्छा होना चाहिए। सही संकेत देने से यह फैसला लेना प्रधानमंत्री के परिप्रेक्ष्य में महत्वपूर्ण है। सलमान ने अजीज को सज्जन एवं विनम्र व्यक्ति बताते हुए उनकी तारीफ की और कहा कि उनकी बातचीत बेहद सकारात्मक रही।
विदेश मंत्री ने मुंबई हमले की जांच की दिशा में पाकिस्तान की तरफ से अभियोजक नियुक्त किए जाने का भी स्वागत किया। बकौल सलमान, उन्होंने [अजीज] बताया कि पाक ने 26/11 के दोषियों पर मुकदमे के लिए अभियोजक नियुक्त कर दिया है। साथ ही पारदर्शिता से यथाशीघ्र कार्रवाई का वादा किया है। 23 सितंबर को पाकिस्तान का न्यायिक आयोग घटना के सुबूत और अपने सवालों के जवाब जुटाने के लिए मुंबई आ रहा है।
शांति प्रयासों के लिए पाकिस्तानी प्रधानमंत्री की प्रतिबद्धता के सवाल पर अजीज ने वाजपेयी के साथ लाहौर बस यात्रा को याद किया। कहा, जब शरीफ पहले सत्ता में थे तो उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को आमंत्रित किया था और लाहौर घोषणापत्र के साथ-साथ नाभिकीय विश्वास बहाली के कदम उठाए थे। आशा करते हैं कि इससे दोनों देशों के बीच बातचीत में तेजी आएगी।