लाहौर। पाकिस्तान की मशहूर लोक गायिका तथा अपनी मधुर आवाज से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करने वाली रेशमा का रविवार सुबह निधन हो गया। अस्पताल सूत्रों के मुताबिक रेशमा गले के कैंसर से पीड़ित थी तथा एक महीने से वह कोमा में थीं।
रेशमा का जन्म राजस्थान के बीकानेर में एक बंजारा परिवार में साल 1947 में हुआ था। भारत पाकिस्तान विभाजन के बाद उनका परिवार पाकिस्तान के कराची चला गया था।
रेशमा 12 वर्ष की उम्र से गायन कर रही थी। वह शाबाज कलंदर न्यास के लिए लंबे समय से गायन करती रही। रेशमा उन चुनिंदा सितारों में से थी जिन्हें भारत तथा पाकिस्तान दोनों मुल्कों में एक जैसी लोकप्रियता मिली। अपनी विशिष्ट गायन शैली के कारण उन्होंने भारत में भी खूब नाम कमाया।
रेशमा ने साल 1960 में भारतीय फिल्म इंडस्ट्री तथा पाकिस्तान दोनों के लिए बैकग्राउंड सिंगिंग की तथा विदेशों में अपने गीतों से लोकप्रियता हासिल की।
उनके सबसे चर्चित गीतों में लंबी जुदाई, दमा दम मस्त कलंदर, हायो रब्बा नहीं लगदा दिल मेरा, सुन चर्खे दी मिट्ठी मिट्ठी कूक माहिया मैनू याद औंदा, मैं चोरी चोरी तथा अंखियां नू रहने दे आंखियां दे कोल कोल शामिल हैं। उन्होंने देश-विदेश में भी कई शो किए तथा उन्हें पाकिस्तान में तीसरे सबसे बडे नागरिक सम्मान सितारा-ए-इम्तियाज से भी नवाजा गया था बॉलीवुड फिल्म हीरो में उनके द्वारा गाया गीत ‘लंबी जुदाई’ बेहद मशहूर हुआ था।
पाकिस्तान में एक लोग गायिका के तौर पर वह बेहद लोकप्रिय हो चुकी थीं, लेकिन भारत में उनकी आवाज गूंजी सुभाष घई की फिल्म हीरो के गाने लंबी जुदाई के जरिए। यह गाना 80 के दशक का सुपरहिट गाना रहा। हीरो मूवी का गाना चार दिनां दा प्यार हाय रब्बा, बड़ी लम्बी जुदाई.. च् गाना एक तरह से रेशमा के लिए भारत से जुदाई का ही ऐलान साबित हुआ था। इस गाने के बारे में रेशमा का कहना था, हीरो में गाया हुआ मेरा यह गाना सचमुच मेरे ऊपर फिट हो गया। उस गीत ने मुझे जितनी प्रसिद्धि दिलाई, उसकी मैंने कल्पना भी नहीं की थी। इसी की बदौलत मैं रातों-रात स्टार बन गई।
इसके बाद भी उन्होंने प्लेबैक सिंगिंग के लिए कोशिशें की थीं, लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली। एक इंटरव्यू में इस बारे में बात करते हुए रेशमा ने कहा था कि दरअसल पारिवारिक कारणों से इस गाने के बाद मैं पाकिस्तान चली गई, जबकि उस समय मेरे पास टॉप म्यूजिक डायरेक्टर्स के ऑफर थे।
रेशमा का कहना था कि भारत और पाकिस्तान उनके लिए दो आंखों की तरह हैं। उनका कहना था कि कलाकारों के लिए देश की सीमाएं कभी बाधा नहीं बनतीं और भारत में उन्हें हमेशा बेहद प्यार और सम्मान मिला है। रेशमा चाहती थीं कि भारत-पाकिस्तान अमन-चैन से रहें।
रविवार सुबह लाहौर के हॉस्पिटल में रेशमा के निधन की खबर आते ही भारत और पाकिस्तान समेत दुनिया भर में उनके प्रशंसक शोक में डूब गए। फिल्म जगत की कई हस्तियों ने उनके निधन पर दुख जाहिर किया है।