एक कहावत हैः घर में हो फूट तो दुश्मन प्रभावी होता है। विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के जबरदस्त प्रदर्शन के बाद आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर इस कहावत पर अमल आवश्यक माना जा रहा है। और भाजपा ने सही समय पर इसकी पहल शुरू कर दी है। खुले तौर पर बात करें तो संघ-परिवार आगामी लोकसभा चुनाव में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता और संघ भारतीय जनता पार्टी में कोई बिखराव नहीं देखना चाहता। जिसके मद्देनजर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और मोदी दोनों ही इस मिशन में लग गए हैं। जानकारी के अनुसार बीते 24 दिसंबर को राजनाथ सिंह ने सभी भाजपा प्रदेश अध्यक्षों की और सभी भाजपा मुख्यमंत्रियों की बैठक दिल्ली में बुलाई थी। उस बैठक में जैसे ही संजय जोशी का मामला उठा, श्री सिंह ने खामोशी से ही सही लेकिन इस बात के संकेत दे दिए हैं कि संजय जोशी को जल्द ही कोई बड़ी ज़िम्मेदारी दी जा सकती है। यही नहीं, सूत्रों के मुताबिक पार्टी से नाराज चल रहे गोविंदाचार्य को भी मनाने की कोशिशें की जा सकती हैं। राजनाथ सिंह का यह कदम इसलिए प्रशंसनीय है क्योंकि वह सही वक्त पर सही कोशिश को अंजाम देने में लगातार लगे हैं। गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री और गुजरात परिवर्तन पार्टी (जीपीपी) के अध्यक्ष केशुभाई पटेल के बेटे भरत पटेल का हाल में भाजपा में शामिल होना और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा की संगठन में वापसी को हरी झंडी देना, दोनों ही इसी पहल का एक अहम हिस्सा समझा जा रहा है।