बीजेपी के पीएम पद के प्रत्याशी नरेंद्र मोदी की कथित लहर के भरोसे पार्टी सत्ता में आने को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हो चुकी है। यहां तक कि उनके संभावित कैबिनेट को लेकर भी मीडिया में चर्चाएं शुरू हो गई हैं। हालांकि, सवाल यह भी है कि अगर किसी कारण से सत्ता की चाबी बीजेपी या एनडीए के हाथ नहीं लगी तो फिर मोदी क्या करेंगे क्या वह गुजरात में बतौर सीएम अपनी पारी पूरी करेंगे या फिर केंद्र की राजनीति में अपनी सक्रियता बढ़ाएंगे ऐसे कई सवालों के बारे में बीजेपी फिलहाल सोच नहीं रही, लेकिन २००४ में सर्वेक्षणों में टॉप पर रहने वाली बीजेपी के असल मैदान में धराशायी होने की कहानी २०१४ में भी दोहराई गई तो मोदी के भविष्य पर सवाल उठना तो लाजिमी है। अगर किसी भी कारण से बीजेपी की सरकार नहीं बनती है तो फिर मोदी के सामने दो विकल्प होंगे। एक गुजरात जाकर बतौर मुख्यमंत्री फिर से सक्रिय होना। दूसरा केंद्र की राजनीति में दखल बढ़ाते हुए विपक्ष के नेता जैसा कोई पद संभालना। मौजूदा संकेतों को देखते हुए मोदी इनमें से कौन सा विकल्प अपना सकते हैं,बीजेपी के कुछ नेता कहते हैं कि देश के सबसे बड़े पद की दावेदारी में शरीक होकर वापस से सीएम पद संभालना मोदी के लिए मुमकिन नहीं होगा। इसके अलावा, सांसद चुने जाने के बाद उन्हें सीएम का पद छोड़ना होगा, क्यो कि वह दो संवैधानिक पद एक साथ नहीं रख सकते। हालांकि, जानकार अलग राय रखते हैं। उनका कहना है कि जिस तरह की राजनीति मोदी करते हैं, उसको देखते हुए यह मानना बहुत मुश्किल है कि वह विपक्ष के नेता जैसी कोई जिम्मेदारी संभालेंगे। वह सांसद या विपक्ष का नेता बनने के बजाय सीएम बने रहना उचित समझेंगे। जानकारों के मुताबिक, मोदी को सत्ता की आदत लग चुकी है, इसलिए वह शर्तिया तौर पर गुजरात लौटना ही पसंद करेंगे।