जिन लोगों पर देश की शिक्षा व्यवस्था को नई दिशा देने की जिम्मेदारी है, वही लोग गलत नजीर पेश करने में लगे है। मानव संसाधन राज्यमंत्री रामशंकर कठेरिया का फर्जी डिग्री वाला विवाद अभी थमा भी नही था कि वह नये विवाद में घिर गए है।
उनपर ताजा आरोप है कि वह बिना पढाये ही वेतन ले रहे है। कठेरिया भीम राव अंबेडकर विश्वविद्यालय के ‘के एम इंस्टीट्यूट’ में हिंदी के रीडर है। 9 नवम्बर को केंद्रीय मंत्रिमंडल के पहले विस्तार में शपथ लेने के बाद से वह एक पूर्णकालिक मंत्री है। तब से एक भी दिन उन्होंने कक्षा नही ली है। बावजूद इसके उन्होंने नवम्बर महीने की पूरी तनख्वाह ली है। उनकी कुल मासिक तनख्वाह 1.14 लाख रूपये है। इसमें पीएफ आदि के रूपये काटने के बाद 87 हजार रूपये उनके इलाहाबाद बैंक के खाते में विश्वविद्यालय के अकाउंट डिपार्टमेंट द्वारा जमा कराया गया।
डॉ. कठेरिया ने साल 2009 में सांसद बनने के बाद से विश्वविद्यालय से एक भी दिन की आधिकारिक छुट्टी नही ली है, जबकि इस दौरान वह विधानसभा-लोकसभा के चुनाव, पार्टी सम्मलेन, आरएसएस के कार्यक्रम, निरीक्षण और संसद सत्रों में व्यस्त रहे है। पार्टी ने उन्हें पंजाब और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों की कमान भी सौपी हुई है। लिहाजा इन राज्यों में भी वह अक्सर दौरा करते रहते है। इंस्टीट्यूट के छात्रों और कर्मचारियों का कहना है कि 2009 में सांसद बनने के बाद से ही वे बहुत कम बार विश्वविद्यालय आये है।
बात सिर्फ इतनी नही है। उनका लाभ के दो-दो पदों पर बने रहना कानून का सीधा-सीधा उल्लंघन है। भारतीय संविधान की धारा 102(1)(A) के अनुसार एक सांसद/मंत्री लाभ के किसी दुसरे पद पर नही हो सकता। जया बच्चन को इसी धारा का उल्लंघन करने का दोषी पाये जाने पर 2006 में राज्यसभा से निष्कासित किया जा चूका है।
उच्च नैतिकता की बात करने वाली भाजपा रामशंकर कठेरिया को मंत्रिमंडल से निष्कासित करेगी या असंवैधानिक तरीके से पद पर बनाये रखेगी??
-neel sharma
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