प्रिय अन्ना जी ,
किसानों के हितों से पटे पड़े नए भूमि अधिग्रहण बिल को किसान विरोधी कहकर अपनी विश्वसनीयता मटियामेट मत कीजिये , या फिर इन बिन्दुओं को गलत सिद्ध कीजिये :-
1 क्या ये गलत है की नए कानून में किसानों को बाजार भाव से चार गुनी कीमत दी जाएगी जमीनों की ?
2. क्या ये गलत है की उपजाऊ जमीन अधिग्रहित करने की या नहीं करने की या उसकी सीमा तय करने की पूरी छूट राज्यों को दी गयी है ?
3. अधिग्रहित करने से पहले किसानों और ज़मीन मालिकों पर पड़ने वाले सामाजिक , पारिवारिक प्रभाव का विश्लेषण भी किया जायेगा , इसके लिए पंचायत के सदस्यों , प्रबुद्ध नागरिकों , विशेषज्ञों , मनोवैज्ञानिकों और समाज सेवकों की टीम बनायीं जाएगी और वे लोग तय करेंगे की यहाँ की ज़मीन अधिग्रहित करना रहवासियों के लिए फायदेमंद है या नहीं , क्या ये नियम किसान विरोधी है ?
4. एक मुश्त ज़मीने अधिग्रहित करने से पहले 80 % किसानों की सहमति ज़रूरी है , क्या ये नियम किसान विरोधी है ?
5. ज़मीन मालिक के अलावा उस पर निर्भर दूसरे लोग भी मुआवजे के हक़दार होंगें , क्या ये नियम किसान विरोधी है ?
6. पूरा पैसा मिलने के बाद ही ज़मीन से विस्थापन होगा , क्या ये नियम किसान विरोधी है ?
7. विवाद सुलझाने के लिए एक समिति गठित होगी जिसे प्रोजेक्ट के शुरू होने से पहले सारे विवाद निपटाने होंगे , क्या ये नियम किसान विरोधी है ?
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अब बात आती है मोदी सरकार के अध्यादेश की जिसमे उन्होंने तीन विषयों पर सहमती वाले नियम में ढील दी है और ये विषय हैं :-
1. राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े सेना के हथियारों के उद्योग
2. ग्रामीण विद्युतीकरण के प्रोजेक्ट
3. बड़े पैमाने पर गरीबों के लिए सस्ते घर बनाने वाले प्रोजेक्ट
इनमे से कौन सा विषय किसान विरोधी है ? अगर किसी को ऐसा लगता भी है तो क्या किसान देश और उसके विकास से ऊपर हैं ? आज देश के लोगों की गाढ़ी कमाई विदेशों से हथियार मंगवाने में खर्च होती है , कल हम भारत में ही हथियार बनाना चाहेंगे और कोई विदेशी चंदे पर पलने वाला देशद्रोही युगपुरुष पच्चीस किसानों को बहकाकर धरने पर बैठ गया तो देश का क्या होगा ? क्या देश के विकास में बाधक बन सकने वाले और विदेशी शक्तियों के दुरूपयोग कर सकने वाले नियम ढीले करना किसान विरोधी है ?
माफ़ कीजिये अन्ना जी , कभी डेम के सामने कभी न्यूक्लियर प्लांट के सामने भारत विरोधी ताकतों के इशारों पर होने वाले ये धरने प्रदर्शन , चंद लोगों की कैमरे में आने की ललक और मासूम किसानों को बरगलाने में माहिर धंधेबाज एनजीओ की वजह से देश आगे बढ़ना नहीं छोड़ सकता , देश आगे बढ़ेगा और ज़रूर बढ़ेगा , आप को साथ आना है तो आओ नहीं तो आपकी मर्जी !!
-हितेन्द्र सिंह
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