“कौशलम् बलम्” को साबित करने के लिए जहाँ युवा शक्ति जी -जान झोंक देती थी,वहीं आज केवल एक कागज के टुकड़े पर प्रमाण पत्र पाने के लिए युवा कई कई हथकंडे अपना रहे है।कहाँ जा रही है ये युवा पीड़ी इसका अंदाजा हम नहीं लगा सकते! एक ओर हमारे प्रधानमन्त्री जी “श्रमेव जयते” का नारा दे रहे है वहीँ युवा फर्जी डिग्री हांसिल करने में अपना कौशल बड़ा रहे है।हालाँकि इन युवाओं के लिए ये डिग्रियां हांसिल करना भी आसान होता जा रहा है,जो कि लचर सरकारी व्यवस्थाओ की देन है। आई.टी.आई.,पॉलिटेक्निक व इंजीनियरिंग जैसे पाठ्यक्रमों के कॉलेजों की मानो बाढ़ सी आ गयी है।यहां प्रवेश से पूर्व युवा का प्रश्न होता है कि “रोज़ तो नहीं आना पड़ता है ना!”जिन संस्थानों पे लगाम नहीं वहां ये धंधा जोरों से चल रहा है और अप्रत्यक्ष रूप से भ्रष्टाचार की अलख जगा रहा है।दिन प्रति दिन कौशलता का खून होता जा रहा है और युवा फेसबुक/व्हाट्सअप के सैलाब में डूबता जा रहा है।कॉलेज संचालकों की तो बल्ले बल्ले है,उन्हें टीचर नहीं रखना पड़ता व प्रेक्टिकल पर खर्च नहीं करना पड़ता।ऐसे में अकेले मोदी जी का “श्रमेव जयते” साकार होना क्या संभव है? हाँ,इसकी आड़ में ऐसे कॉलेजों की बाढ़ आना तय है जिनसे युवा पीड़ी का भ्रमित होना भी तय है।मैं नहीं जानती की यह बात मोदी जी तक कब पंहुचेगी पर तब तक काफी देर हो जायेगी!
_श्रीमती शबनम ,भूतपूर्व शिक्षिका व समाज सेविका,अजमेर।