ललित मोदी ने पहुंचाया था ‘अडानी को फ़ायदा’

Lalit-Modiब्रिटेन में रह रहे आईपीएल के पूर्व कमिनश्नर ललित मोदी को आईपीएल फ्रेंचाइजी की नीलामी में कारोबारी समूह अडानी और वीडियोकॉन को फ़ायदा पहुँचाने का दोषी भी पाया गया था.
ये बात किसी और ने नहीं बल्कि भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और मौजूदा वित्त मंत्री अरुण जेटली की अगुआई वाली बीसीसीआई की समिति ने कही थी.
इस समय ललित मोदी की मदद को लेकर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे विपक्षी दलों के निशाने पर हैं. विपक्षी दल इनके इस्तीफ़े की मांग कर रहे हैं.
अरुण जेटली की अध्यक्षता वाली भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की तीन सदस्यीय अनुशासन समिति ने अपनी रिपोर्ट में ललित मोदी को दोषी ठहराया था.
10 जून 2013 को तैयार इस रिपोर्ट में बीसीसीआई के तत्कालीन उपाध्यक्ष जेटली के अलावा चिरायु अमीन और कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया भी शामिल थे.
हालाँकि, ललित मोदी अपने ऊपर लगे आरोपों से इनकार करते रहे हैं. हाल ही एक टेलीविज़न को दिए इंटरव्यू में उन्होंने उन पर लगे आरोपों को अदालत में साबित करने की चुनौती भी दी.
अडानी को नरेंद्र मोदी के करीबी व्यवसायियों में माना जाता है. अडानी गुजरात क्रिकेट संघ के प्रायोजकों में भी शामिल रहा है.
उल्लेखनीय है कि नरेंद्र मोदी सितंबर 2009 में गुजरात क्रिकेट संघ के अध्यक्ष बने थे और पिछले साल प्रधानमंत्री चुने जाने तक इस पद पर रहे.
नरेंद्र मोदी पर 2014 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान अडानी का विमान इस्तेमाल करने का आरोप भी लगा.
प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी के ऑस्ट्रेलिया और चीन समेत कई विदेशी दौरों पर गौतम अडानी को भी देखा गया.
मीडिया में आई ख़बरों के अनुसार इस दौरान गौतम अडानी ने अरबों रुपए के व्यापारिक समझौते भी किए. बीसीसीआई को सौंपी इस रिपोर्ट के अनुसार ललित मोदी ने नीलामी की शर्तों में दो अहम बदलाव किए थे और वो भी गवर्निंग काउंसिल की इजाजत के बिना.
समिति ने कहा कि उनकी राय में ललित मोदी ने ये शर्तें इसलिए जोड़ी ताकि नीलामी में अधिक पार्टियां हिस्सा न ले सकें. हुआ भी यही और सिर्फ़ अडानी और वीडियोकॉन समूह की ही बोलियां बीसीसीआई को मिलीं. भारतीय क्रिकेट के टीम के तत्कालीन प्रायोजक सहारा ग्रुप और अन्य कंपनियों जैसे जागरण समूह ने आरोप लगाया था कि उन्हें नीलामी से बाहर रखने के लिए जानबूझकर नई शर्तें जोड़ी गई हैं.
बाद में बीसीसीआई ने इन शर्तों को कठिन और अतार्किक बताते हुए 7 मार्च 2010 को इस नीलामी प्रक्रिया को रद्द कर दिया था.
134 पन्नों की इस रिपोर्ट में अडानी और वीडियोकॉन को फ़ायदा पहुँचाने वाले मामले का जिक्र 54वें पन्ने पर है.

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